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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का मानवीय फैसला: गंभीर हालत देख नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात को मंजूरी
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म की शिकार हुई एक चौदह वर्षीय किशोरी के जीवन की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आठवीं कक्षा की यह छात्रा गर्भावस्था के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही थी। चिकित्सकों ने न्यायालय को सूचित किया था कि यदि समय पर गर्भपात नहीं कराया गया, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, हाई कोर्ट ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में सुरक्षित गर्भपात की अनुमति प्रदान की है। पीड़िता ने दुष्कर्म की घटना के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस ने आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं, जिनमें पॉक्सो एक्ट भी शामिल है, के तहत केस दर्ज किया है।
सरकारी अस्पताल में हुई चिकित्सकीय जांच में सामने आया कि पीड़िता 10 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती है और भ्रूण जीवित अवस्था में है। शुरुआत में डॉक्टरों ने पीड़िता की उम्र और मामले की न्यायिक स्थिति को देखते हुए गर्भपात की अनुमति नहीं दी थी। गर्भ की अवधि बढ़ने के साथ ही पीड़िता को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा होने लगीं। डॉक्टरों ने हाई कोर्ट को अवगत कराया कि समय रहते ऑपरेशन नहीं किया, तो छात्रा की जान को खतरा हो सकता है।
न्यायालय के निर्देश पर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) द्वारा पीड़िता का गहन स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। इस परीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि पीड़िता के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए गर्भपात आवश्यक है। इस चिकित्सीय रिपोर्ट और उसकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए, उच्च न्यायालय ने अंततः विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में गर्भपात की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे
दी।
