डीजीपी चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप से कैट का इनकार, जारी रहेगी डीजीपी पद के लिए चयन प्रक्रिया

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट )ने अंतरिम राहत की मांग ठुकराई, डीजीपी पद के लिए चयन प्रक्रिया जारी रहेगी 

 

रायपुर । केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) जबलपुर ने एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पवन देव की याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के चयन प्रक्रिया में तत्काल हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए आवेदक की अंतरिम राहत की मांग को खारिज कर दिया है । अब डीजीपी पद के लिए चयन प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी। जानकारी के अनुसार, ओ.ए./530/2025 के तहत दायर इस याचिका में आवेदक ने 13 मई 2025 को हुई चयन पैनल बैठक के बाद डीजीपी पद के लिए चल रही चयन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक पवन देव छत्तीसगढ़ राज्य के वरिष्ठआईपीएस अधिकारी है, लेकिन डीजीपी (एचओपीएफ) के पद पर चयन के लिए पैनल तैयार करने के दौरान उनका नाम छोड़ दिया गया है, जो नियम विरुद्ध है। आवेदक के वकील ने यूपीएससी 26 सितंबर 2023 के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि चयन का मानदंड और तरीका योग्यता आधारित है, जिसमें "बहुत अच्छे" रिकॉर्ड और अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है, और आवेदक इन दोनों ही मामलों में योग्य हैं। वकील ने यह भी बताया कि आवेदक का लगातार उत्कृष्ट रिकॉर्ड रहा है, उनके खिलाफ कोई जांच लंबित नहीं है और उनके पास 18 साल का अनुभव भी है।

हालांकि, प्रतिवादी संख्या 3 से 5 के अधिवक्ता अनमोल दुबे ने अंतरिम राहत की प्रार्थना का कड़ा विरोध किया। उन्होंने मुख्य रूप से इस बात पर जोर दिया कि आवेदक कोई भी ऐसा दस्तावेज़ पेश करने में असमर्थ है जिससे यह साबित हो सके कि उनका नाम चयन पैनल से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आवेदक को केवल चयन पर विचार करने का अधिकार है, चयन का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही, उन्होंने कहा कि आवेदक की यह आशंका कि उनका नाम पैनल से बाहर कर दिया गया है, केवल कुछ मीडिया रिपोर्टों पर आधारित है, जिसे न्यायिक विचार का आधार नहीं बनाया जा सकता है।

दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद, न्यायाधिकरण के सदस्य (जे) श्री अखिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आवेदक कोई भी दस्तावेज़ पेश करने में असमर्थ हैं जो यह दर्शाता हो कि उनका नाम पैनल से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मीडिया रिपोर्टों को न्यायिक हस्तक्षेप का आधार नहीं माना जा सकता है। न्यायाधिकरण ने इस स्तर पर हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं पाया और तदनुसार, अंतरिम राहत की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया। अब यह मामला 15 जुलाई 2025 को जवाब दाखिल करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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