उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को अब मिलेगी समान और पूर्ण पेंशन: सुप्रीम कोर्ट

न्यायिक गरिमा व स्वतंत्रता को बनाए रखने हेतु ऐतिहासिक निर्णय, सभी न्यायाधीशों को मिलेगा 'एक रैंक, एक पेंशन' का लाभ

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को अब समान और पूर्ण पेंशन देने का आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत का यह निर्णय न्यायाधीशों की नियुक्ति की तिथि, स्थायी या अतिरिक्त पद पर नियुक्ति अथवा उनकी सेवा की श्रेणी पर निर्भर नहीं रहेगा। इससे ना केवल पूर्व न्यायाधीशों को आर्थिक समानता मिलेगी, बल्कि यह न्यायिक सेवा की प्रतिष्ठा को भी मजबूती प्रदान करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उच्च न्यायालयों के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पूर्ण और समान पेंशन देने का आदेश दिया, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि या स्थायी या अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में स्थिति कुछ भी हो। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के न्यायाधीशों के साथ-साथ सभी जिला न्यायाधीशों के लिए समान सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों का भी निर्देश दिया। ‘एक रैंक, एक पेंशन’ के सिद्धांत का समर्थन करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा कि वेतन की तरह ही सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में एकरूपता न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा और न्यायिक कार्यालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

 

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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पूर्ण पेंशन के हकदार हैं, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी हो या वे बार से पदोन्नत हुए हों या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हों। इसने कहा कि अतिरिक्त और स्थायी न्यायाधीशों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि विधवाओं, विधुरों और अन्य आश्रितों के लिए ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन जैसे लाभ सभी न्यायाधीशों के लिए समान होने चाहिए। हम मानते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद टर्मिनल लाभों के लिए न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इस प्रकार, हम सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पूर्ण पेंशन के हकदार मानते हैं, चाहे वे कब पद पर आए हों। हम यह भी मानते हैं कि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी पूर्ण पेंशन मिलेगी और न्यायाधीशों और अतिरिक्त न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेदभाव हिंसा को बढ़ावा देगा।

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शीर्ष अदालत ने अपने निर्देश में केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अब से सभी सेवानिवृत्त उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को 15 लाख रुपये वार्षिक तथा अन्य सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को 13.5 लाख रुपये वार्षिक की दर से पूर्ण पेंशन मिले। अदालत का यह निर्णय न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारियों की गरिमा और समानता को न्यायिक मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

 

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