अपने और मंत्री के चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए 30 करोड़ का फारेस्ट सर्वे टेंडर 300 करोड़ में , कैम्पा मद बना भ्रष्टाचार का अड्डा ,

अपने और मंत्री के चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए 30 करोड़ का फारेस्ट सर्वे टेंडर 300 करोड़ में , कैम्पा मद बना भ्रष्टाचार का अड्डा , रायपुर :  कैम्पा मद यह सुनिश्चित करता है कि गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन से जारी की गई धनराशि का उपयोग शीघ्र और पारदर्शी […]

अपने और मंत्री के चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए 30 करोड़ का फारेस्ट सर्वे टेंडर 300 करोड़ में , कैम्पा मद बना भ्रष्टाचार का अड्डा ,

रायपुर :  कैम्पा मद यह सुनिश्चित करता है कि गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन से जारी की गई धनराशि का उपयोग शीघ्र और पारदर्शी तरीके से किया जाए 2002 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने CAMPA फंड के निर्माण का आदेश दिया था वर्ष 2002 के बाद से लेकर अब तक के कैम्पा मद के जारी धनराशि के आकड़ो पर अगर जाए तो यह मद पूरी तरह से अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है बीते दिनों विधानसभा सत्र में भूपेश शासन काल मे कैम्पा मद हुए हुए घोटाले का मुद्दा विधानसभा की सुर्खियों में था जिसमे विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को कैम्पा मद से जमकर फंडिंग की गई थी यह मामला अभी तक ठण्डा भी नही हुआ था कि कैम्पा मद से एक और बड़ा घोटाला सामने आ गया है जिसमे फारेस्ट सर्वे के नाम पर 300 करोड़ रुपये का टेंडर एक चहेती कंपनी को उपकृत करने के उद्देश्य से जारी कर दिया गया ।

पूर्ववर्ती सरकार ने ED के डर से जिस टेंडर से खींचा था हाथ बीजेपी सरकार में वही टेंडर हो गया पास

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार तत्कालीन भूपेश सरकार ने ED और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की धमक राज्य में देखते हुए “अरण्य भवन” ने जिस टैंडर को जारी करने में अपने हाथ पीछे खींच लिए थे वही मौजूदा बीजेपी सरकार के आते ही उक्त टेंडर अपने चेहते ठेकेदार को जारी कर दिया गया टेंडर फिक्सिंग करते हुए टेंडर की शर्त और नियमो को बदला गया ताकि उक्त टेंडर चहेते ठेकेदारों को देकर उपकृत किया जा सके टेंडर फिक्सिंग मामले में तत्कालीन कैम्पा सचिव वर्तमान पीसीसीएफ की भूमिका संदेह के घेरे में है ।

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Genesis और Mindtree कंपनियों को उपकृत करने के लिए 30 करोड़ के सर्वे को 300 करोड़ में मंजूरी

Genesis और Mindtree यह दोनो कंपनियां जो राज्य के बाहर की कंपनी है इन
कंपनियों को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों को ही बदल दिया गया केवल वही शर्ते रखी गई जिसकी अहर्ताएं यह दोनों कंपनियां पूरी करती हो मालूम हो कि यह सर्वे का कार्य 30 करोड़ रुपये का था जिसे अब एक शून्य बढ़ाकर 300 करोड़ कर दिया गया 30 को तीस बनाने में कैम्पा श्रीनिवासन राव ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी ।
बताते चले कि इस टेंडर की भूमिका पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के समय से ही तैयार की जा रही थी इन कंपनियों ने इस टेंडर के लिए करोड़ो रुपयों का कमीशन पहले ही दे दिया था भूपेश सरकार इस मुगालते में थी कि राज्य में कांग्रेस की पुनर्वापसी होगी. लेकिन ऐसा नही हुआ. बताया जाता है कि अब कंपनी के दबाव में वन विभाग के अधिकारियों ने पुरानी शर्तों को जस की तस रखते हुए टैंडर जारी कर दिया था।

Forest lidar 3D mapping survey डिजिटल सर्वे को लेकर नया बखेड़ा शुरू हो गया है पूरे मामले में श्रीनिवाशन राव की भूमिका सवालों के घेरे में है यह वही श्रीनिवाशन राव है जिसपर पूर्ववर्ती सरकार में कई गंभीर आरोप लग चुके है वर्तमान सरकार में भी आज श्रीनिवाशन राव वन अमले के प्रमुख जगह में बैठा हुआ है जिस पर कार्रवाही की जानी थी लेकिन आज पर्यन्त तक कार्रवाही न होने से श्रीराव के हौसले बुलंद है तब तो सरकार बदलने के बाद भी श्रीनिवाशन राव घोटालों से बाज नही आ रहे है जबकि इतने गंभीर आरोपो के बाद श्रीनिवाशन राव को तत्काल बर्खास्त कर इनपर सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए ।

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