विधानसभा में गूंजा अरपा नदी में 12 करोड़ के फ्लड प्रोटेक्शन घोटाले का मामला, एक बार फिर तत्कालीन अभियंता अलोक अग्रवाल घेरे में।

 रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र बुधवार को काफी हंगामे दार रहा इस दौरान विधानसभा में अरपा नदी पर बने फ्लड प्रोटेक्शन वाल के निर्माण में 12 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला जमकर उछला पामगढ़ विधायक शेषराज हरबंश ने इस संबंध में विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना प्रस्तुत कर जल संसाधन मंत्री से जवाब मांगा है। आरोप है कि इस परियोजना में भारी वित्तीय अनियमितता हुई है और बिना काम के ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया है।

क्या है फ्लड प्रोटेक्शन वाल मामला?

जल संसाधन विभाग द्वारा बिलासपुर शहर के पास अरपा नदी में बरसात में किनारे की मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए फ्लड प्रोटेक्शन वाल का निर्माण 4 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। यह कार्य वर्ष 2010 में पूरा होना था। लेकिन आरोप है कि यह निर्माण कार्य तकनीकी कारणों से पूरा नहीं हो पाया और इसका भुगतान भी पहली किश्त में ही कर दिया गया। 

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मामले में तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के विरुद्ध विभागीय जांच की गई थी। जांच में बताया गया था कि कार्यपालन अभियंता द्वारा कार्य का सही ढंग से पर्यवेक्षण नहीं किया गया। कार्यपालन अभियंता के साथ ठेकेदार को भी दोषी ठहराया गया। 

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 जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, 12 करोड़ का गबन

मामला सामने आने के बाद भी विभाग के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता के कारण निर्माण कार्य को जानबूझकर लटकाया गया। नियमानुसार यह कार्य पूरा होना चाहिए था। निर्माण कार्य तकनीकी कारणों से रुकने के कारण पिछले वर्ष की बरसात में फ्लड प्रोटेक्शन वाल क्षतिग्रस्त हो गया।

         यह बात गौर करने वाली है कि क्षतिग्रस्त होने के बावजूद सरकारी खजाने से 12 करोड़ रुपये तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता के द्वारा अनुबंधित फर्मों, अव्यवस्थित कार्य और तकनीकी मापदंडों का पालन नहीं करने के बावजूद निकाल लिए गए। इस गंभीर वित्तीय अनियमितता के बारे में शिकायत दर्ज होने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

विधायकों ने उठाया मुद्दा, एफआईआर की मांग

पामगढ़ विधायक श्रीमती शैलेष हरबंश ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया उन्होंने कहा कि 12 करोड़ रुपये के इस दुरुपयोग के कारण संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और दोषी लोगों को सजा मिलनी चाहिए। यह मामला अब विधानसभा में उठने के बाद गरमा गया है और उम्मीद है कि इस पर उचित कार्रवाई होगी।

 

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