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छत्तीसगढ़ से लिखी गई थी स्क्रिप्ट, अब झारखंड में भी उजागर हुआ शराब घोटाला: IAS विनय चौबे से ACB ने की पूछताछ

रायपुर / झारखंड में सामने आए शराब घोटाले की स्क्रिप्ट दरअसल छत्तीसगढ़ में ही लिखी गई थी। अब जब इस घोटाले की परतें खुलनी हुई हैं, तो जांच एजेंसियों ने रफ्तार पकड़ ली है। झारखंड एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में तत्कालीन आबकारी सचिव और वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे से पूछताछ की है।
सोमवार को ACB की टीम उनके आवास पहुंची और आवश्यक दस्तावेजों के साथ उन्हें अपने कार्यालय ले जाया गया, जहां कई घंटों तक उनसे सवाल-जवाब किए गए। सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ का केंद्र बिंदु झारखंड की नई आबकारी नीति और उसमें कथित घोटाले से जुड़ी अनियमितताएं रहीं।
यह घोटाला केवल झारखंड तक सीमित नहीं है। इसकी जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां पहले से ही स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के अधिकारियों और शराब कारोबारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला सामने आ चुका है। छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस घोटाले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इसमें हस्तक्षेप किया।
ED की जांच में यह खुलासा हुआ कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम देने वाले सिंडिकेट ने ही झारखंड में भी वैसी ही आबकारी नीति लागू करवाई। इसी सिंडिकेट ने वहां भी करोड़ों रुपये की हेराफेरी की।
ED की छत्तीसगढ़ इकाई ने IAS विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ की थी। चौबे ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि झारखंड की आबकारी नीति सरकार की सामूहिक सहमति से बनाई गई थी और उन्होंने कोई गलत कदम नहीं उठाया।
हालांकि, छत्तीसगढ़ के एक व्यक्ति ने EOW में शिकायत दर्ज कर यह आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में भी घोटाले की योजना बनाई और उसे अमल में लाया। इसी आधार पर ED ने अक्टूबर 2024 में चौबे समेत कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
झारखंड ACB ने भी राज्य सरकार की अनुमति के बाद प्रारंभिक जांच (PE) दर्ज कर जांच को औपचारिक रूप दिया है। अब तक की पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं और आने वाले दिनों में कई और अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच भी तेज हो गई है। मंगलवार को दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में ACB ने एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की। इसके पहले पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाने वाले लोगों के यहां भी जांच एजेंसी ने दबिश दी थी।
गौरतलब है कि कवासी लखमा और उनके साथ जुड़े कई अधिकारी वर्तमान में जेल में हैं और उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
जांच के दौरान एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सूत्रों का दावा है कि इस पूरे नेटवर्क का संबंध ज्योति मल्होत्रा नाम की महिला से भी है, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तान की एजेंसियों की ओर से भारत में अस्थिरता फैलाने के कार्य सौंपे गए थे। हालांकि, इस दावे की सरकारी स्तर पर पुष्टि नहीं हुई है।
छत्तीसगढ़ और झारखंड, दोनों राज्यों में चल रही जांच इस ओर इशारा कर रही है कि यह केवल आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, अंतर-राज्यीय साजिश है। अब इस जांच में कई और बड़े नामों के सामने आने की संभावना है।