नान घोटाला: आईएएस-आईपीएस व्हाट्सएप चैट फिर सुर्खियों में, सीबीआई ने दर्ज किया अपराध

 

रायपुर। प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के व्हाट्सएप चैट एक बार फिर सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। यह मामला तब तूल पकड़ने लगा जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इसी तरह के एक चैट के आधार पर नान घोटाले में तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा समेत अन्य के खिलाफ अपराध दर्ज किया। इसी को आधार बनाते हुए अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई ने कल पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के आवास पर छापेमारी की कार्रवाई भी की है, जो आज भी जारी रह सकती है।

IMG-20250419-WA0036

Read More तड़प तड़प के आई मौत आठ घंटे मौत से लड़ता रहा दिल्ली का यह कपल, एक्सप्रेसवे पर सैकड़ों गाड़ियां गुजरीं पर किसी ने पलटकर नहीं देखा..

दरअसल, पूरा मामला वर्ष 2015 में रमन सिंह की सरकार के दौरान हुए बहुचर्चित नान घोटाले से जुड़ा है। इस घोटाले में भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी रहे अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने तत्कालीन एसीबी चीफ को व्हाट्सएप पर चैट कर अपने पक्ष में काम कराने की कोशिश की। चैट में एटी (अनिल टुटेजा) कथित तौर पर नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर न्याय के विपरीत कार्य कराने का दबाव बना रहे थे, जिस पर तत्कालीन एसीबी चीफ ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए उन्हें फटकार भी लगाई थी। बताया जाता है कि इसके बाद अनिल टुटेजा ने जीपी सिंह से माफी भी मांगी थी। गौरतलब है कि अनिल टुटेजा, तत्कालीन एसीबी चीफ जीपी सिंह के कनिष्ठ अधिकारी थे, लेकिन भूपेश सरकार के दौरान वे एक प्रभावशाली अफसर के तौर पर जाने जाते थे।

Read More नाइट शिफ्ट के बाद गायब हुई नर्स, अगली सुबह छत पर मिला शव, मचा हड़कंप, पुलिस के सामने कई सवाल

 

 

अनिल टुटेजा के चैट में कौन हैं 'सीएम मैडम'?

 

IMG-20250419-WA0037

अनिल टुटेजा के व्हाट्सएप चैट में बार-बार 'सीएम सर' और 'सीएम मैडम' का जिक्र सामने आ रहा है, जिसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। नान घोटाले का खुलासा 2015 में हुआ था, जब प्रदेश में भाजपा की डॉक्टर रमन सिंह की सरकार थी। उस समय एसीबी की छापेमारी में एक डायरी बरामद हुई थी, जिसमें भ्रष्टाचार के पैसों का हिसाब-किताब दर्ज था। इस डायरी में कथित तौर पर दो नंबर के पैसे किस अधिकारी को कितने दिए गए, इसका पूरा लेखा-जोखा था। इसमें कई एंट्री 'सीएम' और 'सीएम मैडम' के नाम से भी थीं। जांच में 'सीएम' का मतलब नान में पदस्थ अधिकारी चिंतामंडी चंद्राकर निकला था। इस मामले में तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा और सचिव आलोक शुक्ला को आरोपी बनाकर जेल भी भेजा गया था।

हालांकि, 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जब कांग्रेस की सरकार आई, तो अनिल टुटेजा ने पाला बदल लिया और सरकार के करीबी बन गए। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने अपने पुराने मामलों को दबाने की कोशिश की और सरकारी तंत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया। कहा यह भी जाता है कि पांच साल की भूपेश सरकार में टुटेजा ने अकूत संपत्ति अर्जित की और अपने कथित काले कारनामों का ठीकरा पिछली रमन सरकार पर फोड़ने का प्रयास किया।

कांग्रेस सरकार के दौरान जीपी सिंह और एटी के बीच जो चैट सामने आए हैं, उनमें नान घोटाले की डायरी में जिस 'सीएम सर' की चर्चा है, वह डॉक्टर रमन सिंह बताए जा रहे हैं और 'सीएम मैडम' उनकी पत्नी वीणा सिंह। आरोप है कि एटी चाहते थे कि कुछ ऐसे तथ्य बनाए जाएं जिससे यह साबित हो सके कि 'सीएम सर' का मतलब डॉक्टर रमन सिंह और 'सीएम मैडम' वीणा सिंह हैं। इस कथित फर्जीवाड़े को अंजाम देने और दोनों पर शिकंजा कसने के लिए एटी ने तत्कालीन एसीबी चीफ पर दबाव बनाया था, जिस पर जीपी सिंह ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद कथित तौर पर कई दागदार अफसरों ने एकजुट होकर जीपी सिंह को ठिकाने लगाने की कोशिश की, जिसमें वे कुछ हद तक सफल भी रहे।

 

 

सत्ता की गोद में बैठे अधिकारी:

पांच साल तक सत्ता की करीबी बनकर पूरे सिस्टम को कथित तौर पर नुकसान पहुंचाने वाले इन अधिकारियों का एक सिंडिकेट था। इस सिंडिकेट के कुछ लोग जहां जेल की सलाखों के पीछे हैं, वहीं कुछ पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि भाजपा शासनकाल में अनिल टुटेजा पर डॉक्टर रमन सिंह काफी भरोसा करते थे और उन्हें खुली छूट दे रखी थी। इसी विश्वास का फायदा उठाकर टुटेजा ने नान घोटाले जैसे बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। ऐसे अधिकारियों को न शासन का कहा जा सकता है और न ही प्रशासन का। इस भ्रष्टाचार पर भाजपा सरकार में ही टुटेजा पर एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन सत्ता बदलते ही वे भूपेश सरकार के करीब आ गए और अपने कथित काले कारनामों पर पर्दा डालने लगे।

बताया जाता है कि डॉक्टर रमन सिंह को सहपत्नी गिरफ्तार करने की योजना तैयार की गई थी, जिसमें एसीबी चीफ रहे जीपी सिंह पर दबाव बनाया गया था। इस कथित षडयंत्र में प्रभावशाली अधिकारी टुटेजा और एक 'सुपर सीएम' ने पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन न्यायसंगत कार्य करने वाले अफसर जीपी सिंह अपने रुख पर अडिग रहे। इसी का नतीजा रहा कि उनके खिलाफ कथित तौर पर साजिश रची गई और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। 2024 में कैट से निर्दोष करार दिए जाने और तीन माह के अंदर सेवा बहाली के आदेश के बाद जीपी सिंह तक बहाल तो हो गए लेकिन तत्कालीन सरकार के कथित गलत फैसलों और भ्रष्टाचार को संरक्षण न देने का परिणाम यह निकला कि आज भी जीपी सिंह की पोस्टिंग का आदेश जारी नहीं हुआ है। हालांकि, चर्चा है कि जल्द ही उन्हें पुलिस विभाग का एक बड़ा दायित्व सौंपा जा सकता है।

लेखक के विषय में

More News

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता डॉ. रामविलास दास वेदांती का निधन, अयोध्या में अंतिम दर्शन की तैयारी

राज्य