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कमीशनखोरी के आरोपों पर लीपापोती का आरोप, क्या मोदी की गारंटी फेल? विष्णु देव साय सरकार की छवि पर लग रहा बट्टा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावों पर संकट के काले बादल छाने लगे हैं। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक नेता पर 3% कमीशन मांगने के लगे आरोपों की जांच में लीपापोती का आरोप लग रहा है। राष्ट्रीय जगत विजन ने पहले ही आशंका जताई थी कि वेंडरों पर दबाव डालकर शिकायत का खंडन कराया जाएगा, और अब नेता जी को क्लीन चिट मिलने की खबर आ रही है। इससे साफ है कि जांच के नाम पर मामले को दबा दिया गया है।
क्यों लग रहे हैं लीपापोती के आरोप?
मामला बिल्हा क्षेत्र के एक नेता से जुड़ा है, जिन पर वेंडरों से काम के बदले 3% कमीशन मांगने का आरोप था। यह मामला तब गरमाया जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था और प्रधानमंत्री मोदी व अमित शाह ने कहा था कि भ्रष्टाचारी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। अब इस मामले में क्लीन चिट मिलने से विपक्षी दल इसे वाशिंग मशीन से धुलकर साफ होने जैसा बता रहे हैं और मोदी की गारंटी पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं।
विपक्ष का कहना है कि यह सुशासन के वादों और जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली साय सरकार की छवि को खराब कर रहा है। मुख्यमंत्री को इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
नेता जी भाई की नियुक्ति पर भी .......
इधर, सूत्रों से खबर मिल रही है कि इसी नेता के एक भाई को मंडी बोर्ड में संविदा पर नियुक्त किया गया है। उन पर भी इसी तरह के आरोप लग रहे हैं कि वे अपने चहेते ठेकेदारों को काम दिला रहे हैं और बाकी ठेकेदारों को मैनेज करने की हिदायत दे रहे हैं। राष्ट्रीय जगत विजन जल्द ही इस मामले का खुलासा करेगा। इन आरोपी के बाद सभी की नजर सरकार के अगले कदम पर टिकी है और आम लोग यह सोच रहे हैं की क्या वाकई में सरकार ऐसे भ्रष्ट नेताओं पर कार्यवाही करेगी।
