- Hindi News
- अपराध
- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: लम्बे समय से पति-पत्नी की तरह साथ रहना, नहीं बनता दुष्कर्म का मामला
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: लम्बे समय से पति-पत्नी की तरह साथ रहना, नहीं बनता दुष्कर्म का मामला
लंबे समय तक साथ रहने और बच्चों के बाद दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता: हाईकोर्ट

बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से एक अहम फैसला सामने आया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रेप के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि कोई बालिग महिला लंबे समय तक अपनी मर्जी से किसी पुरुष के साथ पति-पत्नी की तरह रहती है, तो ऐसे रिश्ते को जबरन या धोखे का आधार मानकर दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।
यह मामला रायगढ़ जिले से जुड़ा है, जहां एक महिला ने 2008 में आरोपी युवक पर शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। दोनों की मुलाकात बिलासपुर में हुई थी, जहां महिला एक एनजीओ में काम करती थी। महिला का कहना था कि आरोपी ने उसे उसके पहले पति से अलग होने के लिए कहा और फिर शादी का वादा किया।
इसके बाद दोनों साथ रहने लगे। महिला के तीन बच्चे भी हुए और उसने सरकारी दस्तावेजों में खुद को आरोपी की पत्नी के रूप में दर्ज कराया। लेकिन 2019 में आरोपी अचानक रायपुर चला गया और लौटकर नहीं आया। जब बार-बार कहने पर भी वह वापस नहीं आया, तो महिला ने थाने में रेप की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे, लेकिन आरोपी ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह माना कि पीड़िता ने खुद अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रहना चुना, और वर्षों तक पति मानकर उसके साथ रही। यहां तक कि उसने खुद को पत्नी बताते हुए तमाम दस्तावेज भी बनवाए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर महिला ने आरोपी को पति स्वीकार किया है और दोनों लंबे समय तक साथ रहे हैं, तो यह मानना कठिन है कि यौन संबंध धोखे में बनाए गए थे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 3 जुलाई 2021 के आदेश को रद्द करते हुए आरोपी को बड़ी राहत दी है।