बिलासपुर: नाला अतिक्रमण पर दोहरी मार, जावली के बाद गोकने नाला भी कब्जे की गिरफ्त में, नामी धन्ना सेठों का कब्जा 

बिलासपुर. शहर के दो प्रमुख नाले जावली और गोकने पर अतिक्रमण का साया गहरा गया है. जहां जावली नाले पर 37 कब्जे और 50 फीट तक के अतिक्रमण का खुलासा हुआ है वहीं गोकने नाला भी बड़े धनसेठों और राजनीतिक पहुंच वाले लोगों के कब्जे में बताया जा रहा है. दोनों ही मामलों में प्रशासन की कार्रवाई सवालों के घेरे में है. जावली नाले पर कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा सीमांकन हुआ है तो गोकने नाला का सीमांकन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई जिससे कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

जावली नाले के मामले में राजस्व और नगर निगम की संयुक्त टीम ने कोर्ट के आदेश पर दोबारा सीमांकन किया है. इस दौरान 37 लोगों द्वारा करीब 50 फीट तक जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया. टीम यह रिपोर्ट तहसीलदार को सौंपेगी जिसके बाद कोर्ट के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई होगी. गौरतलब है कि इससे पहले भी इस नाले पर रेड मार्किंग हुई थी और तीन दुकानों पर बुलडोजर चला था लेकिन बाद में कार्रवाई रोक दी गई थी. शुक्रवार को टीम ने शिवरीनारायण रोड से तेलीपारा रोड तक 37 मकान दुकान और खाली प्लॉट पर कब्जे पाए हैं जिनमें कई प्रभावशाली लोगों के निर्माण भी शामिल हैं. प्रकाश आडवाणी और साकेत कश्यप का सबसे बड़ा कब्जा सामने आया है जिन्होंने नाले की जमीन पर 50-50 फीट तक कब्जा कर लिया है. प्रकाश आडवाणी ने तो आवासीय मकान को कमर्शियल निर्माण में बदल दिया है जो नियम के खिलाफ है.

वहीं दूसरी ओर गोकने नाला का मामला और भी पेचीदा है. पूर्व कलेक्टर अवनीश शरण ने एक लंबी चौड़ी टीम बनाकर इस नाले का उद्गम से लेकर अंतिम छोर तक सीमांकन करने और अतिक्रमण हटाकर दोनों ओर सड़क बनाने की बात कही थी. सीमांकन किया भी गया था लेकिन इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. सूत्रों के मुताबिक बड़े बड़े धनसेठों और राजनीतिक पहुंच वाले लोगों ने नाले के दोनों ओर उस्लापुर से लेकर तिफरा सिरगिट्टी और आगे तक कब्जा कर रखा है. इन कब्जों को हटाने से रोकने के लिए राजनीतिक पहुंच और धनबल का प्रयोग किया गया है जिससे कार्रवाई रुक गई है. इस मामले में कलेक्टर ही बता पाएंगे कि कार्रवाई क्यों रोकी गई. जावली नाले पर कमल नवरंगानी टीना नवरंगानी और रिंकू की दुकानों पर पहले कार्रवाई हो चुकी है लेकिन प्रकाश आडवाणी गीता नवरंगानी और अन्य पर कार्रवाई रोक दी गई थी. अब कोर्ट के आदेश पर दोबारा सीमांकन के बाद नाले की जमीन पर बने कई पक्के मकान भी कब्जे की श्रेणी में आ रहे हैं. टीम का कहना है कि इन पर कार्रवाई कोर्ट के निर्देशानुसार ही होगी.

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