2000 करोड़ के ट्रांसफार्मर में लगी आग, जांच भी खुद विभाग ने की

RDSS योजना में भारी बजट के बावजूद बिजली व्यवस्था बेहाल

बिलासपुर। सरकार की बहुचर्चित RDSS (रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) योजना, जिसका उद्देश्य प्रदेश की बिजली व्यवस्था को आधुनिक और सशक्त बनाना था, अब खुद भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का प्रतीक बनती जा रही है। विभाग के ट्रांसफार्मर जल गए जिसकी लागत 2000 करोड़ रुपए बताई जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि उसकी जांच भी खुद विभाग ने ही कर डाली। न कोई स्वतंत्र एजेंसी, न कोई जवाबदेही।

इस योजना के तहत करोड़ों का बजट खर्च होने के बावजूद आम उपभोक्ताओं को बिजली कटौती, वोल्टेज की समस्या और बार-बार फुंकते ट्रांसफार्मरों से राहत नहीं मिल रही है। विभागीय सूत्रों की मानें तो एक मुरारका नामक ठेकेदार को अंडरग्राउंड केबल बिछाने का कार्य दिया गया था, लेकिन ठेकेदारी करते-करते वह करोड़ों का मालिक बन बैठा। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी आर्थिक उन्नति कैसे और किसके संरक्षण में हुई? सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि विभाग के पास यह स्पष्ट जानकारी तक नहीं है कि कहां-कहां ट्रांसफार्मर लगाए गए, किस क्षेत्र में कितनी लाइन डाली गई, और किन-किन इलाकों में कार्य अधूरा पड़ा है। ठेकेदारों को भुगतान नहीं हो रहा, जिससे कई जगहों पर कार्य अधर में लटका हुआ है।

 

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जानकारों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिजली विभाग में करोड़ों का खेल खेला गया है। योजनाओं को आधा-अधूरा कर फाइलों में पूरा दिखाया जा रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई पानी की तरह बहाई जा रही है, और परिणाम शून्य। प्रदेश में बिजली की आंख मिचौली आज भी जारी है, जबकि फाइलों में सब कुछ 'सुधर' चुका है। सरकार को चाहिए कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि जनता का विश्वास और राजकोष दोनों सुरक्षित रह सकें।

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