डमी ‘लाश’ का ड्रामा! जिंदा नौकर को मुर्दा दिखाकर 50 लाख बीमा हड़पने की साजिश, चिता पर खुला महाठगी का राज

हापुड़। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया जिसने पुलिस और स्थानीय लोगों को भी हैरान कर दिया। कमल सोमानी नाम के व्यक्ति ने अपने जिंदा नौकर को ‘मृत’ दिखाकर एक डमी लाश का अंतिम संस्कार कर 50 लाख रुपये की बीमा राशि हासिल करने की साजिश रची—लेकिन उसकी चाल चिता पर ही पकड़ ली गई। 

कैसे खुला 50 लाख की ठगी का पूरा खेल?
गढ़मुक्तेश्वर के गंगा घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारियाँ लगभग पूरी हो चुकी थीं। चिता सज चुकी थी, मंत्रोच्चार की धीमी आवाज़ हवा में घुल रही थी, और माहौल हर तरह से अंतिम विदाई की गंभीरता में डूबा था। लेकिन तभी, दाह संस्कार करने वालों की नज़र चिता पर रखी ‘लाश’ पर अटक गई।

पहले उन्हें कुछ अजीब लगा… फिर ध्यान से देखा तो उनके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई, यह लाश नहीं, बल्कि रुई और कपड़े से बनी डमी थी! बस, यहीं से 50 लाख की महाठगी का खेल पलभर में ध्वस्त हो गया। चिता के पास मौजूद लोगों ने शोर मचा दिया, पालिका कर्मचारी दौड़ पड़े और माहौल शोक से सनसनी में बदल गया। यह हंगामा देखते ही कमल सोमानी भी अपने ‘रिहर्सल मोड’ में आ गया, वह अचानक ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा, जमीन पर बैठ गया और चिल्ला उठा ये अस्पताल वालों की गलती है! असली शव की जगह डमी दे दी! उसकी यह फिल्मी एक्टिंग और आरोपों का शोर, लोगों की नाराज़गी और शक के बीच डूब ही रहा था, तभी पुलिस पहुंच गई और कहानी पूरी तरह पलट गई।

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पुलिस की एंट्री और कहानी का अचानक पलटना
मौके पर पहुँची पुलिस ने कमल सोमानी को बेसुध विलाप करते देखा तो शुरुआत में मामला सच लगने लगा। उसने तेजी से अस्पताल के दस्तावेज दिखाए, नौकर की बीमारी और ‘मौत’ का पूरा किस्सा सुनाया और खुद को पूरी तरह बेबस साबित करने की कोशिश की। पुलिस कुछ देर के लिए असमंजस में थी, सबूत कागज़ों पर ठीक लग रहे थे और कमल का रोना किसी भी देखने वाले को सच जैसा ही लगता। लेकिन पुलिस की नजरें तभी तेज़ हुईं जब कमल बार-बार अपनी कार के पास जाने से बचने लगा। उसके व्यवहार ने शक की एक छोटी-सी चिंगारी पैदा की और पुलिस ने बिना देर किए उसकी कार की तलाशी शुरू कर दी।

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तलाशी के पहले ही मिनट में ऐसा खुलासा हुआ जिसने पूरे मामले को उलट दिया, कार की पिछली सीट से एक नहीं, बल्कि दो और डमी लाशें बरामद हुईं! बस, यहीं से कहानी विलाप से निकलकर साजिश, फर्जीवाड़ा और 50 लाख की धोखाधड़ी में बदल गई। पुलिस ने कमल और उसके साथी को तुरंत हिरासत में लिया और फिर जो राज़ उघड़ा, उसने सबको हैरान कर दिया।

पूरी साजिश का खुलासा—‘मृत्यु प्रमाण पत्र’ था ठगी का असली हथियार
हिरासत में लेते ही कमल सोमानी की एक्टिंग टूटने लगी और सख्ती से पूछताछ होते ही पूरा प्लान बाहर आ गया। पुलिस के सामने उसने कबूल किया कि उसका असली मकसद चिता नहीं, बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र था, क्योंकि उसी कागज़ की मदद से वह बीमा कंपनी से 50 लाख रुपये का फर्जी क्लेम निकालने वाला था। इसके लिए उसने पहले से खरीदी हुई डमी लाश को असली नौकर के रूप में पेश किया, ताकि अंतिम संस्कार के बाद मिलता प्रमाण पत्र उसके काम आ सके।

जांच में यह भी सामने आया कि उसका नौकर बिल्कुल स्वस्थ था और उसे इस घिनौनी साजिश की भनक तक नहीं थी। कमल नौकर को ‘मरा’ दिखाकर न सिर्फ पैसे हड़पना चाहता था, बल्कि बाद में उसके असली अस्तित्व को मिटाने की भी तैयारी में था, यानी अगर योजना सफल होती, तो नौकर की जान को खतरा भी पूरी तरह से टल नहीं पाता। कमल ने कबूल किया कि उसने पिछले कुछ महीनों में कई बार इसी तरह के ‘डमी प्रयोग’ किए, ताकि सही मौका मिलते ही बीमा कंपनियों को लाखों का चूना लगाया जा सके। लेकिन इस बार गंगा घाट के कर्मचारियों की सतर्कता ने उसकी पूरी ठगी की इमारत ढहाकर रख दी।

SP की एंट्री—पूरा मामला हाई-प्रोफाइल ठगी में बदल गया
जैसे ही मामले की गंभीरता बढ़ने लगी, इसकी सूचना हापुड़ के एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह तक पहुँची। वह तुरंत गढ़मुक्तेश्वर कोतवाली पहुंचे, जहां पहले से मौजूद पुलिस टीम ने उन्हें चिता से लेकर कार तक का पूरा घटनाक्रम बताया। कार से मिली तीन-तीन डमी लाशें, फर्जी अस्पताल कागज़ात और कमल की लगातार बदलती कहानी सुनकर SP ने साफ कहा कि यह सामान्य धोखाधड़ी नहीं, एक संगठित ठगी का मॉडल लगता है।

उन्होंने तुरंत सभी दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच का आदेश दिया और अस्पताल से लेकर बीमा कंपनी तक हर लिंक की छानबीन शुरू करने को कहा। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या कमल के पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा है, जो फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा कंपनियों को ठगने का धंधा चला रहा हो। साथ ही नौकर की सुरक्षा को भी प्राथमिकता पर रखा गया है, क्योंकि अगर कमल की योजना सफल हो जाती तो आगे उसके लिए यह ‘जिंदा गवाह’ सबसे बड़ा खतरा बन सकता था। पुलिस अब कमल से उसके आर्थिक लेनदेन, डमी लाशों की खरीद के स्रोत और पिछले फर्जीवाड़ों के बारे में गहराई से पूछताछ कर रही है।

स्थानीय लोगों में रोष, समाज में फर्जीवाड़े को लेकर बढ़ी चिंता
घटना के बाद गंगा घाट और आसपास के इलाकों में लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। अंतिम संस्कार जैसे पवित्र स्थान और संवेदनशील परंपरा का इस तरह दुरुपयोग किए जाने से लोग गुस्से में हैं। स्थानीय नागरिकों ने कहा कि यह सिर्फ ठगी नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक आस्था पर भी प्रहार है। कई लोगों ने चिंता जताई कि अगर पालिका कर्मचारी और घाट के पुजारी समय रहते सतर्क न होते, तो न केवल 50 लाख की ठगी हो जाती बल्कि इससे ऐसे फर्जीवाड़ों का नया रास्ता खुल सकता था।

लोगों का कहना है कि इस तरह के मामले बताते हैं कि अपराधी अब अत्यंत संवेदनशील प्रक्रियाओं जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र और दाह संस्कार का भी भ्रष्ट तरीके से इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, बल्कि ऐसे अपराधों से समाज में अविश्वास भी बढ़ता है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए घाटों की निगरानी और दस्तावेज़ों की जांच प्रक्रिया और कड़ी की जाएगी।

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