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3200 करोड़ के शराब घोटाला मामले में आया नया अपडेट, 25% की कटौती करने वाले आबकारी अधिकारियों ने ब्यान में कहा-....
3200 करोड़ के शराब घोटाला मामले में आया नया अपडेट, 25% की कटौती करने वाले आबकारी अधिकारियों ने ब्यान में कहा-....
छत्तीसगढ़ के 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आबकारी अफसरों की 88 करोड़ की अवैध कमाई का खुलासा, 200 से ज्यादा गवाहों के बयान, और अब सवाल—क्या जांच राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अफसरों तक पहुँचेगी या सिर्फ छोटे अधिकारी ही बलि का बकरा बनेंगे?
रायपुर: छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ शराब घोटाला अब और भी गहराता जा रहा है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस घोटाले से आबकारी विभाग के 11 अधिकारियों ने 88 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई की है। बाकी अफसरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू की जांच जारी है। ये राशि हवाला, प्रॉपर्टी और अन्य निवेशों के ज़रिए ठिकाने लगाई गई है। ईओडब्ल्यू की जांच के मुताबिक, इन अधिकारियों ने मिलकर 60 लाख से ज्यादा पेटियाँ अवैध रूप से बेची, जिनकी बाजार कीमत लगभग 3200 करोड़ रुपए आंकी गई है।
शराब घोटाले की परतें खोलते हुए, ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) ने अब तक 200 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इन गवाहों में शराब कारोबारी, आबकारी विभाग के अधिकारी, कैश डिलीवरी एजेंट और हवाला नेटवर्क से जुड़े लोग शामिल हैं। जांच में सामने आया है कि शराब दुकानदारों को निर्देश दिया गया था कि शराब की बिक्री का कोई रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेजों में दर्ज न किया जाए। इसके अलावा, डुप्लीकेट होलोग्राम के माध्यम से बिना शुल्क चुकाए शराब दुकानों तक पहुँचाई गई। चार्जशीट के अनुसार, आबकारी विभाग में यह संगठित भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ, जो वर्षों तक बिना किसी रोक-टोक के जारी रहा।
शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिस्टलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था। उसके बाद हर माह 400 ट्रक शराब की सप्लाई शुरू हो गई। प्रति पेटी शराब 3,880 रुपए में बेची गई। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई।
3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में एक नया खुलासा सामने आया है। जांच में शामिल आबकारी अधिकारियों ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि उन्होंने 25 फीसदी की रकम की कटौती कर उसे उच्चाधिकारियों तक पहुँचाया। उनका कहना है कि वे यह सारा काम अपने जिला अधिकारियों के निर्देश और नियंत्रण में कर रहे थे। चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक इन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई है, न ही ईओडब्ल्यू या एसीबी ने उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया है। इससे जांच की निष्पक्षता और गहराई पर सवाल उठने लगे हैं।
शराब घोटाले ने छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक प्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवालियां निशान खड़े कर दिए हैं। फ़िलहाल, सवाल ये भी है कि क्या अब तक कार्रवाई से बचे वरिष्ठ अफसरों और राजनैतिक संरक्षण प्राप्त लोगों तक भी जांच की आंच पहुँचेगी, या सिर्फ छोटे अधिकारी ही बलि का बकरा बनाए जाएंगे?
