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बिलासपुर की अरपा में 12 करोड़ का वाल घोटाला : पुल भी खतरे में, मगर विभाग ने आँखें मूंदी....
बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी पर बना 12 करोड़ का फ्लड प्रोटेक्शन वॉल दो साल में ही बह गया, जिससे करोड़ों रुपये पानी में बह गए और अब तो तुरकाडीह पुल पर भी खतरा मंडरा रहा है! जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मनमानी और भ्रष्टाचार ने जनता भी सन्न है।

मामले में तत्कालीन कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल पर सीधी उंगली उठ रही है, जिनके खिलाफ जांच के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि उन्हें प्रमोशन देने की तैयारी है.
कैसे हुआ यह करोड़ों का खेल?
बात 2010 की है, जब अरपा नदी के कटाव को रोकने के लिए 4 करोड़ की लागत से फ्लड प्रोटेक्शन वॉल बनाने का काम शुरू हुआ. आरोप है कि यह काम तकनीकी मापदंडों को ताक पर रखकर किया गया और पहली ही बरसात में दीवार बह गई. हैरत की बात तो यह है कि इस नाकामी के बावजूद विभाग ने इंजीनियर आलोक अग्रवाल के खिलाफ कोई जांच या कार्रवाई नहीं की.
अपनी गलती छिपाने के लिए अग्रवाल साहब ने पुरानी डिजाइन बदलवाई और उसी जगह पर 8 करोड़ रुपये की लागत से, नदी के 40 मीटर अंदर जाकर, दूसरी बार दीवार बनवाई. लेकिन जैसे को तैसा,
यह दीवार भी पिछले साल की बरसात में बह गई. कुल मिलाकर, सरकारी खजाने के 12 करोड़ रुपये इंजीनियर साहब की अदूरदर्शिता और तकनीकी लापरवाही की भेंट चढ़ गए.

निर्माण में भारी अनियमितताएं: 40 मीटर फिलिंग, मीटर गहराई मात्र 1.6 मीटर
इस घोटाले की परतें उधेड़ते हुए पता चला है कि यह फ्लड प्रोटेक्शन वॉल सड़क से नदी के अंदर 40 मीटर फिलिंग करके बनाया गया था. बड़ी बात यह है कि दीवार की गहराई महज 1.6 मीटर थी, जो किसी भी हिसाब से पर्याप्त नहीं है. वाल बनाते समय प्रॉपर दीवार खड़ी नहीं की गई; दीवार निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई. एक साइड दीवार बनी थी और दूसरी ओर सिर्फ पत्थर थे, जिसके कारण पानी के तेज बहाव में पूरी वॉल 2 किलोमीटर तक बह गई. यह सब तकनीकी मापदंडों को धत्ता बताते हुए किया गया, जिसका सीधा खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.

लापरवाह इंजीनियर को प्रमोशन, पुल पर खतरा
इतनी बड़ी धांधली और लापरवाही के बावजूद सरकार ने न तो कोई कड़ी कार्रवाई की, न ही राशि वसूली और न ही आपराधिक मामला दर्ज किया. उल्टा, आलोक अग्रवाल को अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रमोट करने की सिफारिश कर दी गई है. यह साफ दिखाता है कि अयोग्य अधिकारियों को सरकार का संरक्षण मिल रहा है, जिससे जनता में भारी आक्रोश है.
इस घटिया निर्माण का खामियाजा अब तुरकाडीह पुल भुगत रहा है, जिसके पिलरों का फाउंडेशन भी क्षतिग्रस्त हो गया है. अगर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो पुल कभी भी टूटकर गिर सकता है. जल संसाधन विभाग के ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने के बजाय उपकृत किए जाने और 12 करोड़ रुपये के गबन पर एफआईआर न होने से जनता में विभाग के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है.
