अरपा नदी में 12 करोड़ का घोटाला: एक बरसात में बह गया 2 किमी का फ्लड प्रोटेक्शन वाल 

रायपुर: छत्तीसगढ़ की विधानसभा में बुधवार को 12 करोड़ रुपए के अरपा नदी घोटाले का मामला जोरदार तरीके से गूंजा, जिसे सुनकर हर कोई दंग रह गया। सवाल उठा कि क्या छत्तीसगढ़ में अब विकास भी पानी में बहने लगा है? बिलासपुर की अरपा नदी पर बना 12 करोड़ का 'फ्लड प्रोटेक्शन वाल' एक ही बरसात में ऐसा बहा कि 2 किलोमीटर तक उसका नामोनिशान नहीं मिला। यानी, सरकारी खजाने के करोड़ों रुपए एक झटके में नदी में समा गए।

गलत डिजाइन और भ्रष्टाचार ने बहा दिए करोड़ों

यह चौंकाने वाला मामला विधानसभा में पामगढ़ विधायक शेषराज हरबंश ने उठाया। उन्होंने जल संसाधन मंत्री से सीधे पूछा कि आखिर क्या वजह थी कि 12 करोड़ का प्रोजेक्ट पहली ही बारिश में धराशायी हो गया? विधायक ने आरोप लगाया कि इस काम में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने खुलासा किया कि 3 किलोमीटर लंबे वाल के लिए 12 करोड़ रुपए का बजट था, लेकिन वाल 2 किलोमीटर तक बह गया। इसके पीछे नदी के बहाव को रोकने के लिए गलत डिजाइन को जिम्मेदार बताया गया। वाल एक तरफ बनाया गया और दूसरी तरफ चट्टान होने से नदी की चौड़ाई घट गई, जिससे पानी का दबाव बढ़ा और वाल ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।

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ईई पर लगे गंभीर आरोप, दोषियों पर होगी कार्रवाई?

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इस पूरे घोटाले में तत्कालीन कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल पर सबसे गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने गलत ड्राइंग डिजाइन को मंजूरी दी और बिना काम पूरा हुए ही 12 करोड़ रुपए निकाल लिए। विभागीय जांच में भी उन्हें दोषी पाया गया था, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। विधायक हरबंश ने अब इस घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

              जब यह मामला सदन में उठा, तो वर्तमान ईई मधु चंद्राकर ने गुमराह करने वाली जानकारी देने की कोशिश की, जिससे सदन का माहौल और गरमा गया। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और जनता के करोड़ों रुपए बहाने वाले दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।

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