12 करोड़ का अरपा वॉल घोटाला: इंजीनियर को प्रमोशन, पुल पर खतरा, मंत्री के ओएसडी का नाम भी चर्चा में 

विधानसभा में मुद्दा उठा मगर अब तक प्रशासन में नहीं की कार्रवाई 

बिलासपुर। । बिलासपुर की अरपा नदी पर 12 करोड़ रुपये की लागत से बना 3 किलोमीटर का फ्लड प्रोटेक्शन वॉल सिर्फ दो साल में बह गया। इस गंभीर घोटाले का खुलासा हाल ही में राष्ट्रीय जगत विजन की ग्राउंड रिपोर्ट से हुआ है। इस मामले ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी हंगामा खड़ा कर दिया है, जहां पामगढ़ विधायक शेषराज हरबंश ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब इस मामले में एक मंत्री के ओएसडी का नाम भी सामने आया है, जिन पर इंजीनियर को संरक्षण देने का आरोप है।

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 दो साल में बहा 12 करोड़ का वॉल, निर्माण में भारी अनियमितता

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यह घोटाला 2010 का है, जब जल संसाधन विभाग ने अरपा नदी के कटाव को रोकने के लिए 4 करोड़ की लागत से वॉल बनाने का काम शुरू किया था। आरोप है कि यह काम गलत ड्राइंग डिजाइन और तकनीकी मापदंडों को ताक पर रखकर किया गया। राष्ट्रीय जगत विजन की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, 
वॉल को नदी के अंदर 40 मीटर की फिलिंग करके बनाया गया था, जबकि इसकी गहराई सिर्फ 1.8 मीटर रखी गई थी। सबसे बड़ी लापरवाही यह थी कि वॉल को ठीक से खड़ा नहीं किया गया था। एक तरफ दीवार थी और दूसरी तरफ सिर्फ पत्थर थे। नतीजतन, पहली ही बरसात में यह 2 किलोमीटर लंबी दीवार बह गई।

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जांच के बाद भी इंजीनियर को प्रमोशन, मंत्री के ओएसडी पर आरोप

इस नाकामी के बावजूद तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। अपनी गलती छिपाने के लिए अग्रवाल ने पुरानी डिजाइन बदलवाकर उसी जगह पर 8 करोड़ की लागत से दोबारा वॉल बनवाया, जो पिछले साल की बरसात में फिर बह गया। इस बार भी गहराई 1.8 मीटर ही रखी गई थी। इस तरह सरकारी खजाने के कुल 12 करोड़ रुपये पानी में बह गए।
विधायक शेषराज हरबंश ने विधानसभा में बताया कि आलोक अग्रवाल के खिलाफ जांच होने के बाद भी न तो कोई कार्रवाई हुई, न ही राशि वसूली गई और न ही आपराधिक मामला दर्ज हुआ। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार उन्हें अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रमोट करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, अग्रवाल को एक मंत्री के ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) का संरक्षण प्राप्त है, जो खुद रायगढ़ भूमि अधिग्रहण घोटाले में आरोपी हैं और उन पर 500 करोड़ के घोटाले का आरोप है। उन्हें निलंबित भी किया गया था, लेकिन अब बहाल कर मंत्री का ओएसडी बना दिया गया है।

 तुरकाडीह पुल पर मंडरा रहा खतरा

इस घटिया निर्माण का खामियाजा अब तुरकाडीह पुल भुगत रहा है, जिसके पिलरों का फाउंडेशन कमजोर हो गया है। अगर जल्द इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो पुल कभी भी गिर सकता है, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। जनता मांग कर रही है कि 12 करोड़ रुपये के इस गबन पर एफआईआर दर्ज हो और दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की दीवार अडिग 

 वही आगे अरपा नदी पर ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत खड़ी की गई वाल इस बरसात में दो बार नदी में बाढ आने के बाद भी नही हिली और जस की तस खड़ी है क्योंकि इसकी गहराई 40 फीट अंदर राड डालकर खडा किया गया है। 

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