जांजगीर-चांपा में संविधान बचाओ रैली क्यों? रायपुर नहीं, बिलासपुर नहीं... कांग्रेस ने क्यों चुना जांजगीर-चांपा?

जांजगीर-चांपा/ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 'संविधान बचाओ रैली' अब जांजगीर-चांपा में आयोजित की जाएगी। इस रैली में पार्टी के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। रैली के लिए पहले रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों के नाम पर विचार हुआ था, लेकिन अंततः जांजगीर-चांपा को चुना गया। पार्टी के इस फैसले के पीछे साफ-साफ एक राजनीतिक गणित और सामाजिक संदेश छुपा है।

जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में एससी मतदाताओं की बड़ी तादाद है, जो चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस की यहां ऐतिहासिक पकड़ रही है और पार्टी इसे अपना कोर सपोर्ट बेस मानती है। यही वजह है कि जब संविधान, सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे मुद्दों पर पार्टी देशभर में आवाज उठा रही है, तो वह अपने सबसे भरोसेमंद वोट बैंक के बीच से शुरुआत करना चाहती है।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस लोकसभा क्षेत्र की सभी 8 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी—वो भी भारी अंतर से। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सौरभ सिंह और नेता प्रतिपक्ष रहे नारायण चंदेल तक को हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद पार्टी को 2024 लोकसभा चुनाव में झटका लगा, जब पूर्व मंत्री शिव डहरिया बीजेपी की कमलेश जांगड़े से हार गए। यह हार कांग्रेस के संगठन और रणनीति पर सवाल बन गई।

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पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिव डहरिया की हार से संगठन में असंतोष और असमंजस की स्थिति बनी थी। इस रैली को एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है। कांग्रेस अब कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना चाहती है कि आंदोलन और संगठन दोनों ज़मीन पर सक्रिय हैं और आगामी चुनावों के लिए कमर कस ली गई है।

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पार्टी इस रैली को सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं रखना चाहती। इसे 2028 विधानसभा और अगली लोकसभा चुनाव के लिए ग्रासरूट लेवल पर सक्रियता बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बूथ स्तर पर संगठन को दोबारा खड़ा करना, एससी वोटरों को फिर से एक्टिव करना और संविधान-आरक्षण जैसे मुद्दों पर माहौल बनाना यही इस आयोजन की मूल रणनीति मानी जा रही है।

भूपेश बघेल की सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में SC वर्ग के लिए कई योजनाएं शुरू की थीं। अब जब कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता, आरक्षण और सामाजिक न्याय के सवालों को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है, तो जांजगीर जैसी सीट पर रैली से यह साफ संकेत जाता है कि कांग्रेस फिर से दलित और वंचित वर्गों के पक्ष में खुलकर मैदान में उतर रही है।

 

 

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