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हाईकोर्ट का सख्त रुख: 'संविधान से ऊपर कोई समाज नहीं', अंतरजातीय विवाह पर DSP के परिवार को बहिष्कृत करने की कोशिश पर लगी कड़ी फटकार
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले एक पुलिस अधिकारी के परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने की कोशिश पर सतगढ़ तंवर समाज को कड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी समाज संविधान से ऊपर नहीं है और किसी के भी निजी जीवन में दखल देना असंवैधानिक और अमानवीय है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी डी गुरु की खंडपीठ ने समाज की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस की जांच से परेशान होने की बात कही गई थी।
डीएसपी मेखलेंद्र प्रताप सिंह, जो वर्तमान में कांकेर जिले में नक्सल ऑपरेशन में तैनात हैं, उन्होंने सरगुजा जिले की एक युवती से प्रेम विवाह किया था। यह एक अंतरजातीय विवाह था, जिससे नाराज होकर सतगढ़ तंवर समाज के पदाधिकारियों ने डीएसपी और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला लिया। इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद कोटा एसडीओपी ने जांच शुरू की और समाज के पदाधिकारियों को बयान के लिए बुलाया। पुलिस की इसी कार्रवाई के खिलाफ समाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने समाज को आड़े हाथों लिया और तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या आप संविधान से ऊपर हैं? कोर्ट ने कहा कि विवाह करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और किसी को भी उसके निजी जीवन के आधार पर सामाजिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने समाज के इस रवैये को असंवैधानिक और चिंताजनक करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया। सोशल मीडिया पर इस सुनवाई का वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए देखे जा सकते हैं। इस मामले को लेकर पुलिस ने पहले ही समाज के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था। हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद उम्मीद है कि प्रशासन अब इस मामले में और भी कड़ा रुख अपनाएगा।
