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अवैध कमाई में साथ दिया! नान घोटाले में आरोपी की महिला मित्र की याचिका हाईकोर्ट से खारिज
महिला मित्र के पास मिली 1.65 करोड़ की संपत्ति
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम नान में हुए करोड़ों के घोटाले से जुड़ा एक बड़ा फैसला सामने आया है। इस घोटाले के आरोपी पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट की महिला मित्र और ब्यूटी पार्लर संचालिका मधुरिमा शुक्ला की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को हाईकोर्ट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। मधुरिमा ने एंटी करप्शन ब्यूरो एसीबी द्वारा केस दर्ज करने और आरोप तय किए जाने के खिलाफ यह याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद साफ कहा कि ब्यूटी पार्लर संचालिका ने नान के पूर्व मैनेजर की अवैध कमाई को निवेश करने का षड्यंत्र रचा है।
दरअसल नान घोटाले की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू ने नान मुख्यालय समेत कई अधिकारियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। इस दौरान पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट के घर सहित अन्य संपत्तियों पर भी दबिश दी गई। ईओडब्ल्यू की विस्तृत जांच में यह सामने आया कि भट्ट ने करीब 3.89 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जुटाई थी जो उसकी वास्तविक आय से कई गुना अधिक थी।
ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पूर्व मैनेजर शिवशंकर भट्ट की महिला मित्र मधुरिमा शुक्ला जो ब्यूटी पार्लर चलाती हैं उन्होंने भट्ट की अवैध कमाई को निवेश करने की साजिश रची। इसी वजह से उन्हें भी इस मामले में सहआरोपी बनाया गया। एसीबी ने जांच के दौरान मधुरिमा के पास से लगभग 1.60 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जबकि उसकी कुल वैध आय केवल 24 लाख रुपये थी। इस मामले में जब चार्जशीट पेश हुई तो स्पेशल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप तय किए थे। इन्हीं आरोपों के खिलाफ मधुरिमा ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी।
अपनी याचिका में आरोपी मधुरिमा ने दावा किया था कि उसे जानबूझकर फंसाया गया है और उसके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से तथ्यहीन हैं। उसने तर्क दिया था कि उसने अपनी संपत्ति ब्यूटी पार्लर के व्यवसाय से जुटाई है और उसने कोई अवैध काम नहीं किया है और न ही किसी के पैसे निवेश किए हैं।
हालांकि इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसीबी से सभी संबंधित दस्तावेज मंगाए और उनका गहन परीक्षण किया। दस्तावेजों की जांच के बाद यह पाया गया कि मधुरिमा के पास मिली 1.60 करोड़ रुपये की संपत्ति उसकी कुल वैध आय 24.74 लाख रुपये से कहीं ज्यादा थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह साफ माना कि मधुरिमा शुक्ला ने शिवशंकर भट्ट की अवैध कमाई को अपने नाम पर निवेश करके इस पूरे षड्यंत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है। इन्हीं ठोस सबूतों और निष्कर्षों के आधार पर कोर्ट ने उनकी याचिका को तत्काल प्रभाव से खारिज कर दिया।
