केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: सौर ऊर्जा निगम चेयरमैन आरपी गुप्ता अचानक बर्खास्त, कार्यकाल खत्म होने से पहले हटाए गए

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) के चेयरमैन आरपी गुप्ता को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब गुप्ता का कार्यकाल समाप्त होने में महज एक महीना बाकी था। सरकार द्वारा शनिवार को जारी आदेश में इस अचानक कार्रवाई के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, जिससे कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से निगम और सौर ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से जुड़े कई विवाद चर्चाओं में थे। आरपी गुप्ता जून 2023 से भारतीय सौर ऊर्जा निगम के अध्यक्ष का पद संभाल रहे थे।

बिना कारण बताए हटाए जाने का दूसरा बड़ा मामला

 

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आरपी गुप्ता की बर्खास्तगी से पहले भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन को भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर पद से इसी तरह बिना कोई कारण बताए बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, उस समय इकनॉमिक टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें दावा किया गया था कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सुब्रमण्यम की किताब 'India@100: Envisioning Tomorrow's Economic Powerhouse' की प्रकाशन से पहले ही करीब 2 लाख कॉपियों का ऑर्डर दे दिया था। लगभग 7.5 करोड़ रुपये के इस ऑर्डर को लेकर बैंक मैनेजमेंट के भीतर विवाद उत्पन्न हो गया था। आईएमएफ में केवी सुब्रमण्यम का कार्यकाल भी समाप्त होने में लगभग छह महीने बचे थे।

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क्यों गिरी SECI चेयरमैन पर गाज?

 

भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) का मुख्य कार्य देश में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की खरीद और बिक्री को बढ़ावा देना है। हाल के दिनों में एजेंसी के काम में सुस्ती को लेकर बार-बार आलोचना हो रही थी। कुछ महीने पहले एक रिपोर्ट आई थी कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से नामित चार नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (REIs), जिनमें SECI भी शामिल है, ने कुल 40 गीगावॉट की रीन्यूएबल एनर्जी प्रॉजेक्ट्स के लिए निविदाएं (टेंडर) जारी की थीं, लेकिन उनके लिए कोई खरीदार नहीं मिल पाया।

 

SECI के 12 गीगावॉट टेंडर फंसे

 

बता दें कि मंत्रालय ने 2011 में भारतीय सौर ऊर्जा निगम को पहली नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नियुक्त किया था। इसका काम सौर, पवन, हाइब्रिड और बैटरी स्टोरेज जैसी विभिन्न श्रेणियों के रीन्यूएबल एनर्जी प्रॉजेक्ट्स के लिए टेंडर जारी करना था। कुल 40 गीगावॉट के फंसे हुए टेंडरों में से 12 गीगावॉट की खरीद और बिक्री का दायित्व सीधे तौर पर SECI के पास था, जिस पर अपेक्षित कार्य नहीं हो सका। इन परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली अधिकांश ऊर्जा के लिए कोई खरीदार नहीं मिला। अडानी ग्रीन एनर्जी, रीन्यू पावर, सॉफ्टबैंक एनर्जी, अज्योर पावर और एसीएमई सोलर जैसी देश की कई बड़ी ग्रीन पावर कंपनियों के प्रॉजेक्ट्स इस सूची में शामिल हैं।

 

विवादों से घिरा रहा निगम का कामकाज

 

भारतीय सौर ऊर्जा निगम का आंतरिक संचालन भी पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है। पिछले वर्ष अक्तूबर महीने में ऐसी खबरें सामने आई थीं कि उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर ने टेंडर हासिल करने के लिए निगम को दिए गए दस्तावेजों में कुछ गड़बड़ी की थी, इसके बावजूद निगम ने उसे टेंडर प्रक्रिया में बोली लगाने की अनुमति दे दी थी। दूसरी ओर, इसी साल जनवरी में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) ने SECI की पहली ग्रिड स्तरीय बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) के लिए 2022 में निर्धारित टैरिफ को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह टैरिफ तय नियमों के अनुरूप नहीं है।

आरपी गुप्ता को अचानक हटाए जाने और इसके पीछे कोई कारण न बताए जाने से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में हलचल है। यह देखना बाकी है कि इस घटनाक्रम का निगम के कामकाज और देश के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों पर क्या

प्रभाव पड़ता है।

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