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गायों की दुर्दशा पर सामाजिक संगठनों की पहल—कलेक्टरों को सौंपे आवेदन, विशेष सत्र बुलाने की मांग
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बेसहारा और पीड़ित गायों की स्थिति को लेकर सामाजिक संगठनों और गौसेवकों ने राज्य शासन का ध्यान आकर्षित किया है। रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में कलेक्टरों को आवेदन सौंपे गए, जिनमें गायों की सुरक्षा, देखभाल और सम्मानजनक व्यवस्था की मांग की गई है।
आवेदकों का कहना है कि गायें सदियों से भारतीय संस्कृति, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही हैं। बावजूद इसके, आज उन्हें सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
संगठनों ने यह भी बताया कि उनके साथी राज्यभर के अन्य जिलों के कलेक्टरों को भी आवेदन दे रहे हैं, ताकि यह विषय केवल एक स्थान तक सीमित न रहकर प्रदेशव्यापी अभियान बने।
प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं:
- प्रत्येक जिले में सरकारी गौशालाएं स्थापित की जाएं।
- बीमार व घायल गायों के लिए विशेष पशु एंबुलेंस सेवा हो।
- गोवंश तस्करी व कटान पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- गौसेवा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
साथ ही उन्होंने मांग की कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 1 सितंबर 2025 से पहले इस पर विधिवत निर्णय लिया जाए, जिससे छत्तीसगढ़ को संस्कृति और गौसेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान मिल सके। 
गौसेवकों ने यह भी कहा कि गायें केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच का संतुलन भी हैं। अब समय आ गया है कि समाज और सरकार दोनों मिलकर उनके प्रति अपने दायित्व निभाएं।
