रायपुर में मेडिकल चमत्कार: अम्बेडकर अस्पताल में 5 घंटे की जटिल सर्जरी, पेट से निकाले गए तीन ट्यूमर

पहली बार किसी सरकारी संस्थान ने 'सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम' जैसी दुर्लभ बीमारी की सर्जरी को पूरी तरह सफल बनाया"

रायपुर/ पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय और डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग ने भिलाई निवासी एक 50 वर्षीय मरीज के पेट से दुर्लभ और जटिल ‘सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम’ की सफल सर्जरी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

पांच घंटे तक चली इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी में डॉक्टरों ने 25×20 सेंटीमीटर आकार के विशाल ट्यूमर सहित कुल तीन ट्यूमर सुरक्षित तरीके से निकाले। ये ट्यूमर मरीज की महत्वपूर्ण रक्त वाहिनियों – इन्फीरियर वेना कावा (IVC) और एओर्टा से चिपके हुए थे, जिससे ऑपरेशन और अधिक जोखिमपूर्ण हो गया था।

‘सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम’ एक अत्यंत दुर्लभ और सौम्य ट्यूमर है, जो पेट की पिछली परत (रेट्रोपेरिटोनियल स्पेस) में लसीका वाहिनियों की असामान्य वृद्धि से बनता है। मेडिकल जर्नल्स के अनुसार, पूरे विश्व में इसके अब तक सिर्फ 200 मामलों की ही पुष्टि हुई है।

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इस जटिलता को देखते हुए रायपुर सहित कई अन्य राज्यों के अस्पतालों ने सर्जरी करने से इनकार कर दिया था। लेकिन अंबेडकर अस्पताल की ऑन्कोसर्जरी टीम ने न केवल सर्जरी का फैसला लिया, बल्कि इसे पूरी तरह सफल भी बनाया।

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विभागाध्यक्ष डॉ. (प्रो.) आशुतोष गुप्ता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज की रिकवरी बेहद अच्छी रही है। अगले ही दिन से उसे सामान्य आहार शुरू करा दिया गया था और दो महीने के फॉलोअप में कोई परेशानी या जटिलता सामने नहीं आई है।

सर्जरी में डॉ. गुप्ता के नेतृत्व में डॉ. किशन सोनी, डॉ. गुंजन अग्रवाल, डॉ. सुश्रुत अग्रवाल, डॉ. रचना पांडे, डॉ. अविनाश बंजारा और डॉ. लावण्या की टीम ने अहम भूमिका निभाई।

पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि यह संस्थान मध्य भारत का पहला शासकीय मेडिकल कॉलेज है, जहां एम.सी.एच. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कोर्स की शुरुआत हुई है। इससे प्रदेश में कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज और सुपर-स्पेशलिस्ट सर्जनों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इस उपलब्धि को छत्तीसगढ़ की चिकित्सा सेवाओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया।

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