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कोरिया में हाथियों का तांडव: बुजुर्ग को दौड़ाया, सूंढ़ से उठाकर पटका, सुबह खेतों में मिली लाश
कोरिया। कोरिया जिले के बिशुनपुर में बुधवार की रात इंसानी बसावट के बेहद करीब आई जंगली जिंदगी ने एक और दर्दनाक हादसा ला दिया। 11 हाथियों के दल ने 70 वर्षीय बुजुर्ग फुलसाय पंडो को कुचलकर मार डाला, जो रेलवे ट्रैक के किनारे एक कच्ची झोपड़ी बनाकर अकेले रहते थे। यह हादसा आधी रात करीब 2 बजे हुआ, जब हाथी नेशनल हाईवे पार कर रेलवे ट्रैक के पास पहुंचे और अचानक गुज़री एक तेज मालगाड़ी से बिदक गए।
कैसे घटा खौफ का वह आधी रात का मंजर?
कटघोरा रेंज से कोरिया जिले की सीमा में घुसे 11 हाथियों का दल पिछले कई दिनों से जंगलों और गांवों के बीच चहल-कदमी कर रहा था। 27 नवंबर की शाम ग्रामीणों ने जब हाथियों को रासा और गदबदी क्षेत्र से खदेड़ा, तो यह झुंड चरचा की ओर बढ़ गया। रात करीब 2 बजे, हाथियों का दल जब NH-43 पार कर बिशुनपुर पहुँचा, तभी रेलवे ट्रैक पर तेज रफ्तार मालगाड़ी गुजरी। गर्जन जैसी आवाज़ से हाथी घबरा गए और झुंड बिखर गया। उसी समय पास की झोपड़ी में सो रहे फुलसाय पंडो की किस्मत ने करवट ली। चीख-पुकार और भगदड़ में हाथियों ने उनकी झोपड़ी तोड़ी और जब वृद्ध भागकर जान बचाने की कोशिश करने लगे, तो उन्हें सूंढ़ से उठा कर पटका जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
सुबह खेत जाने वालों ने देखा खौफनाक दृश्य
अगली सुबह ग्रामीण जब खेतों की ओर निकले, तो रेलवे ट्रैक के पास फुलसाय पंडो का शव पड़ा मिला। तुरंत वन विभाग और पुलिस को सूचना दी गई। थोड़ी देर में डिप्टी रेंजर मंगल साय और चरचा थाना प्रभारी प्रमोद कुमार पांडेय अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे और शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। फुलसाय पंडो वर्षों से अकेले रह रहे थे। परिवार गांव में है, लेकिन वे जंगल-किनारे झोपड़ी में ही रहने पर अड़े रहे। दो बार हटाया गया, फिर भी लौट आए। उन्हें प्रधानमंत्री आवास आवंटित हो चुका था, जो निर्माणाधीन है।
वन विभाग ने पहले किया था अलर्ट, पर बुजुर्ग तक सूचना नहीं पहुँची
वन विभाग ने हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए रात में ही मुनादी कराकर अलर्ट जारी किया था और विभागीय निगरानी में हाथियों को पार कराया जा रहा था। लेकिन अंदेशा है कि फुलसाय पंडो को सूचना नहीं मिली, या वे झोपड़ी से बाहर नहीं निकले। वन विभाग ने तत्काल सहायता के रूप में परिजनों को 25 हजार रुपये दिए हैं। डिप्टी रेंजर मंगल साय के अनुसार हाथियों का दल करीब डेढ़ माह पहले सोनहत क्षेत्र से निकलकर कटघोरा गया था। अब वही झुंड लौट रहा है। फिलहाल हाथी सोनहत वन परिक्षेत्र में हैं और टीम उनकी मॉनिटरिंग कर रही है।
मानव-हाथी संघर्ष का बढ़ता खतरा: जंगलों की सीमाएं सिकुड़ रहीं, हादसे बढ़ रहे
यह घटना इंसानी बस्तियों के पास बढ़ते हाथियों के विचरण का एक और गंभीर उदाहरण है। जंगलों में भोजन और पानी की कमी, अवैध कटाई और हाथियों के पुराने मार्गों में अवरोधों के चलते ऐसे हादसों का खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों में दहशत है, और वन विभाग लगातार निगरानी व चेतावनी जारी कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर रेलवे ट्रैक के पास अलर्ट सिस्टम या फेंसिंग मजबूत होती, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
