कांग्रेस से स्तीफा देते ही गांधी परिवार और कांग्रेस पर आजाद का शुरू हुआ वार……. रिमोट कंट्रोल से चलती थी मनमोहन सरकार, अब पार्टी भी वैसे ही चल रही……… किसकी भाषा बोल रहे हैं आजाद

कांग्रेस से स्तीफा देते ही गांधी परिवार और कांग्रेस पर आजाद का शुरू हुआ वार……. रिमोट कंट्रोल से चलती थी मनमोहन सरकार, अब पार्टी भी वैसे ही चल रही……… किसकी भाषा बोल रहे हैं आजाद नईदिल्ली : कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज पार्टी छोड़ने के साथ ही […]

कांग्रेस से स्तीफा देते ही गांधी परिवार और कांग्रेस पर आजाद का शुरू हुआ वार……. रिमोट कंट्रोल से चलती थी मनमोहन सरकार, अब पार्टी भी वैसे ही चल रही……… किसकी भाषा बोल रहे हैं आजाद

नईदिल्ली : कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज पार्टी छोड़ने के साथ ही उस पर तगड़ा हमला बोला है। पार्टी की आचार संहिता से ‘आजाद’ होते हुए गुलाम नबी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्नों का पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार रिमोट कंट्रोल से चलती थी और वही रिमोट अब पार्टी में भी आ गया है। यानी कांग्रेस पार्टी भी रिमोट कंट्रोल से चल रही है।

 लगाया है कि पहले संप्रग सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाया गया। फिर वही मॉडल कांग्रेस पर लागू किया गया। आप नाम मात्र की अध्यक्ष (सोनिया) हैं, बड़े फैसले राहुल गांधी लेते हैं या उनके ‘सिक्योरिटी गार्ड’ अथवा ‘निजी सहायक’ (PA)।

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राहुल गांधी पर साधा निशाना
आजाद ने सोनिया गांधी को लिखा कि आपने कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकारों के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, इस सफलता की एक बड़ी वजह यह थी कि आपने वरिष्ठ नेताओं की एक परिषद बनाई थी, जो अहम फैसलों पर विचार करती थी। आजाद ने लिखा कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री और जनवरी 2013 के बाद, जब आपने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया तो उन्होंने पार्टी का पूरा परामर्श तंत्र ध्वस्त कर दिया। सारे वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं को हाशिये पर कर दिया गया और गैर अनुभवी व चाटुकारों व पट्ठों को पार्टी के कामकाज का जिम्मा दे दिया गया। 

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अध्यादेश को फाड़ना सबसे अपरिपक्व था
गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए पत्र में लिखा कि उनकी अपरिपक्वता के सबसे ज्वलंत उदाहरणों में से एक मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था। उक्त अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में शामिल किया गया था और बाद में सर्वसम्मति से भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने पारित किया था और जिसे राष्ट्रपति ने भी विधिवत अनुमोदित किया था। इस ‘बचकाना’ व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से विकृत कर दिया। 

पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालें
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पन्नों के त्याग पत्र में आजाद ने कहा कि वह  भारी मन से यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो’ यात्रा निकाली जानी चाहिए थी। आजाद ने कहा कि पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं हुए। कांग्रेस लड़ने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है।

जी-23 के नेताओं को नीचा दिखाया, अपशब्द कहे गए
आजाद ने लिखा है कि कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए हैं, जहां से वापस नहीं आया जा सकता। पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया। कांग्रेस छोड़ने से पहले गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। यह पद उन्हें कुछ घंटे पहले ही दिया गया था। 

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