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छत्तीसगढ़ में क्या चल रहा है ऑपरेशन बदलापुर

छत्तीसगढ़ में क्या चल रहा है ऑपरेशन बदलापुर रायपुर : क्या छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को बाहरी दुश्मनों से कम भीतरी दुश्मनों की दुश्मनी भारी पड़ रही है? क्या झारखंड के कोयले की कालिमा छत्तीसगढ़ में भी बिखर गयी है जिसके कारण पहले आयकर विभाग के छापे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय की भी बैक […]

छत्तीसगढ़ में क्या चल रहा है ऑपरेशन बदलापुर
रायपुर : क्या छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को बाहरी दुश्मनों से कम भीतरी दुश्मनों की दुश्मनी भारी पड़ रही है? क्या झारखंड के कोयले की कालिमा छत्तीसगढ़ में भी बिखर गयी है जिसके कारण पहले आयकर विभाग के छापे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय की भी बैक टू बैक छापेमारी हुई? अब दिल्ली के हल्को में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि झारखंड के तर्ज में छत्तीसगढ़ की पूजा सिंघल कौन या कौन कौन बनेगी।

भारत सरकार के द्वारा चयनित भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों जिसमे आईएएस और आईपीएस आते है वे सत्तारूढ़ दल के प्रति इतने आसक्त कैसे हो रहे है कि उनको छत्तीसगढ़ में विपक्ष कलेक्टर कहने के बजाय कलेक्टिंग एजेंट कह रहे है ये बात रायपुर से दिल्ली तक है।
जून के महीने में जब आयकर विभाग ने छत्तीसगढ़ में अपने को एकनाथ शिंदे बताने वाले सूर्यकांत तिवारी के ठिकाने सहित मुख्यमंत्री कार्यालय में अदने से संयुक्त कलेक्टर सौम्या चौरसिया दबिश दी थी तब से अंदेशा था ही कि घोटाले में राशि की आवक करोड़ो रूपये की है।

अपने अपराध को षड्यंत्र बता कर घबराहट को छिपाने का वामपंथी मुहावरा मुख्यमंत्री बोलने बताने लग गए थे। आंदोलनकारियों की तरह केंद्रीय जांच एजेंसी के द्वारा परेशान किये जाने पर थाने में एफआइआर की सलाह देना बता रहा था ।


कि बचाव में साधन खोजे जा रहे थे। डंके की चोट पर ईडी के अधिकारी आये और जिन स्थानों पर आयकर विभाग ने जून 22 में छापेमारी की थी उनके इनपुट के आधार पर सकल सूर्यकांत तिवारी परिवार सहित सहयोगियों के यहां भारी सीआरपीएफ के जवानों के संरक्षण में जांच कर अपना काम पूरा किया। पिछले दो सालों से मुख्यमंत्री कार्यालय में कोयले के दलाली के लिए उपयुक्त नाम के रूप में सूर्यकांत की एंट्री के बाद से ही कोरबा के कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों ने नाक भौ सिकोड़ना शुरू कर दिया था। रायपुर के शह पर तत्कालीन कलेक्टर ने सारे नियम कानून को ताक पर रख कर 25 रुपये क्विंटल का खुला खेल शुरू किया तो मंत्री जयसिंह अग्रवाल को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा। इधर पतिदेव खनिज विभाग के सर्वेसर्वा, दूसरी तरफ सूर्यकांत के ससुर निगम के अध्यक्ष तो सारे सइया कोतवाल बन गए।

आयकर विभाग की गड़बड़ी को जुर्माने में अदा करने की बात कह कर सूर्यकांत ने परोक्ष रूप से ये तो स्वीकार कर ही लिया था कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित की गई है लेकिन कहां से आय हुई ये बात आयकर के गले नही उतरी और ईडी की एंट्री हो ही गयी।

सूर्यकांत तिवारी के खुफिया दुश्मन कांग्रेस में ही है, ये बात रायपुर के कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में है। दरअसल व्हाइट हाउस के गलियारे से एक शख्श का वजन दो सालों से कम होते जा रहा था। इसके कद को छोटा करने के लिए राज्य सेवा की एक अधिकारी ने सारा ताना बुना था। सूर्यकांत को काटने के साथ साथ राज्य सेवा की अधिकारी के कोयले के कमीशन का मामला ऊपर पहुँचाया गया था जिसमे एक केबिनेट मंत्री की भी साझेदारी थी।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ में आईएएस और आईपीएस की उपेक्षित लॉबी ने भी खबरे ऊपर पहुचाई है। पति पत्नी और वो फिल्म बन गयी है।संभवतः दीवाली के बाद दिवाला निकलने की संभावना है। अंतिम प्रश्न यही कि एक राज्य सेवा की अधिकारी के कर्म ऐसे कैसे है कि दो दो केंद्रीय एजेंसी की प्रिय बनी हुई है। सरकारी महकमे में सिनियरटी और जूनियरटी का बड़ा अंतर होता है। अंदर तक चुभती है जूनियर की बाते। कुछ बाते ऐसी बाते है जो लोगो ने फैलाई है।
संयोग भी है कि झारखंड में भी कोयले के मामले में पत्नी पति और चार्टेड एकाउंट के समान ही छत्तीसगढ़ में भी पत्नी, पति और चार्टेड एकाउंटेंट ही पार्टी बने है।अब झारखंड के तर्ज में पूजा सिंघल कौन बनेगा ? एक नही दो दो दावेदार है।