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अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्रीकांत वर्मा के द्वारा उडाया जा रहा है मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां –

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्रीकांत वर्मा के द्वारा उडाया जा रहा है मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां – बिलासपुर : कलेक्टर बिलासपुर द्वारा एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग की ट्रंसफर सूची जारी किया गया औऱ अनुविभागीय अधिकारी को निर्देशित किया गया की जो पटवारी 3 साल से ऊपर एक तहसील मे पदस्थ हैं उनको अन्यत्र तहसीलों […]

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्रीकांत वर्मा के द्वारा उडाया जा रहा है मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां –
बिलासपुर : कलेक्टर बिलासपुर द्वारा एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग की ट्रंसफर सूची जारी किया गया औऱ अनुविभागीय अधिकारी को निर्देशित किया गया की जो पटवारी 3 साल से ऊपर एक तहसील मे पदस्थ हैं उनको अन्यत्र तहसीलों में ट्रांसफर किया जाना है ।
साथ ही मुख्यमंत्री ने बिलासपुर ज़िला में विशेषकर बिलासपुर तहसील को सुधारने के लिए ही तीन साल वाला नियम लागू किया था। परंतु ज़मीनी स्तर के अधिकारियों ने फिर से अपनी लालफ़ीताशाही दिखाकर वही स्थिति को जस के तस रख दिया है।
पूर्व तहसीलदार नारायण गबेल के चहेते पटवारियों को बिलासपुर तहसील में ही आजु बाजू हलकों में शिफ्ट कर वही स्थिति बना दी गई है जो पहले थी।
बिलासपुर में लिंगियाडीह पटवारी अशोक ध्रुव को बिलासपुर तहसील में चौदह साल हो गया है। परंतु अभी के ट्रांस्फर लिस्ट में अशोक ध्रुव को वहां से नहीं हटाया गया। हम आपको बता दें कि मोपका के एक प्रकरण में पटवारी अशोक ध्रुव को सिविल कोर्ट से तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है। वह हाईकोर्ट में अपील के आधार पर नौकरी कर रहा है। छ्गलोकआयोग ने भी अशोक ध्रुव के ख़िलाफ़ कार्यवाही की अनुशंसा किया था। परंतु तत्कालीन तहसीलदार नारायण गबेल ने उसे बचा लिया था। इसी तरह पटवारी दिनेश वर्मा को दस साल हो गया है दिनेश वर्मा बिल्हा विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक का रिश्तेदार होने के कारण 12 साल से एक ही तहसील मे पदस्थ है।इधर पटवारी दीपक मिश्रा , अभिषेक शर्मा , आशीष टोप्पो, प्रकाश साहू, मनोज खूँटे, आलोक तिवारी, प्रीति सिंह को तीन साल से ऊपर एक ही तहसील बिलासपुर में पदस्थ हुए हो चुका है। इन पटवारियों के ख़िलाफ़ सर्वाधिक शिकायतें है। फिर भी ये पटवारीगण अंगद की पाँव जैसा जमे हुए है। कल के ट्रांस्फ़र लिस्ट में ये उसी बिलासपुर तहसील के आजु बाजू के हल्को में अपना ट्रांसफर कराकर अपना पौवा फिर से जमा लिये है।
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि ज़िला प्रशासन इन रसूखदार पटवारियों के सामने कितना बेबस और लाचार है।जिसका यह ट्रांसफर लिस्ट ताजा उदाहरण है और मुख्यमंत्री के द्वारा दिये गये तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह पर जमे हुए पटवारियों को हटाने के आदेश की जमकर अवहेलना किया गया है। जबकि नियमानुसार इन सभी चर्चीत और शिकायती पटवारी को एक तहसील से हटाकर दूसरे तहसील में स्थानांतरण किया जाना चाहिए था। जिन पटवारियों के ख़िलाफ़ प्रशासन और एसीबी में सर्वाधिक शिकायतें है उन्हें तहसील से तीन साल के आधार पर बाहर करना था। पटवारी दीपक मिश्रा से शहर विधायक श्री पांडे भी नाराज़ चल रहें है।
लेकिन अधिकारियों के कारण मुख्यमंत्री की मंशा केवल बिलासपुर तहसील में सफल होते दिखई नहीं दे रही है। प्रशासन ने इन पटवारियों को तीन साल के आधार पर हटाने के बजाय उसी तहसील में आजु बाजू पदस्थ कर भ्रष्टाचार को यथावत रखा है। एक तरफ 3 पटवारी बहने तीनो मुख्यालय मे पीछले कई सालों से जमें हुए है। रश्मीलता साहू मीनाक्षी लता साहू औऱ मधुलता साहू जो तीनो मिलकर तहसील चला रही है ।औऱ अधिकारियो की क्या मज़बूरी है की तीनो बहनो को बिलासपुर तहसील मे ही लगभग आठ वर्षो से पदस्थ रखा गया है।किसानों को और आम जनता को इन चर्चित पटवारियों के क़हर से कोई राहत नहीं मिलने वाला। केवल चेहरा बदला है प्रवित्ति वही की वही रहेगी।
अंततः तो यह है -हमर बिलासपुर – का प्रशासन। इनके भरोसे सत्ताधारी दल चुनाव की वैतरणी कैसे पार लगाएगी। हमारे राजनितिक नेता इन पटवारियों औऱ अधिकारियो से किस तरिके से चुनाव कराते है यह सोचने का विषय है।
बहरहाल विपक्षी दल को पुनः एक और मौक़ा मिल गया बिलासपुर तहसील में व्याप्त समस्याओं के ख़िलाफ़ हमला बोलने का । अब देखना यह है कि इस कलेक्टर साहब कितने गंभीरता से लेते हैं।