- Hindi News
- राज्य
- गुजरात में प्रेम विवाह पर सख्ती की तैयारी, माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने के लिए अध्यादेश लाएगी सर...
गुजरात में प्रेम विवाह पर सख्ती की तैयारी, माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने के लिए अध्यादेश लाएगी सरकार
अहमदाबाद। गुजरात सरकार प्रेम विवाह से जुड़े मामलों में नया अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत लड़की के माता-पिता की सहमति को अनिवार्य किया जा सकता है। उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद इस प्रस्ताव को बुधवार को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में लाए जाने की संभावना है। इस प्रस्ताव को भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं का समर्थन मिला है। भाजपा विधायक रमणलाल वोरा और हीरा सोलंकी के साथ कांग्रेस सांसद गेनीबेन ठाकोर ने कहा कि ऐसा कानून बनना चाहिए, जिससे माता-पिता को अनावश्यक मानसिक पीड़ा न झेलनी पड़े।
गुजरात में पाटीदार समाज के नेताओं द्वारा लंबे समय से प्रेम विवाह में माता-पिता की सहमति को अनिवार्य करने की मांग की जा रही थी। समाज के नेताओं का तर्क है कि कम उम्र में भावनाओं में आकर लिए गए फैसलों से बाद में युवतियों और उनके परिवारों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि भागकर विवाह करने के मामलों में लड़की के आधार कार्ड पते पर नोटिस भेजकर माता-पिता से एक माह के भीतर जवाब लिया जाए।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर और मध्य गुजरात में कुछ ऐसे गुमनाम मंदिर सामने आए हैं, जिनका पता सैकड़ों प्रेम विवाहों में इस्तेमाल किया गया। गोधरा के एक मंदिर का पता 100 से अधिक विवाह पंजीकरण में दर्ज पाया गया। जांच में सामने आया कि पटवारी और पंडितों का एक संगठित गिरोह इस तरह की शादियां कराने में सक्रिय है।
किंजल दवे के अंतरजातीय विवाह से जुड़ा विवाद भी चर्चा में
इसी बीच, लोकप्रिय गुजराती लोक गायिका किंजल दवे के अंतरजातीय विवाह को लेकर विवाद भी सामने आया है। किंजल ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार है। हालांकि, ब्राह्मण समाज के कुछ संगठनों ने उनके अन्य जाति के युवक से सगाई पर नाराजगी जताते हुए परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है।
किंजल के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिली है। कांग्रेस नेता हेमांग रावल ने कहा कि समाज बच्चों को आगे बढ़ने के अवसर देता है, लेकिन किंजल द्वारा समाज पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। गुजरात सरकार के उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने कानून मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस पूरे विषय पर चर्चा कर अध्यादेश लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
