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चर दिया पटवारी ने चारागाह की शासकीय जमीन को, उसी भूमि को पंचायत ने दिया मुरूम खदान के लिए लीज पर ……अब किसान अपने जानवरों को घर पर बांधने को हुए मजबूर

चर दिया पटवारी ने चारागाह की शासकीय जमीन को, उसी भूमि को पंचायत ने दिया मुरूम खदान के लिए लीज पर ……अब किसान अपने जानवरों को घर पर बांधने को हुए मजबूर छत्तीसगढ़ : रायपुर जिले के ग्राम अभनपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत ठेलकाबांधा में नियम विरुद्ध एवं राजस्व विभाग के दस्तावेजों में हेराफेरी कर […]

चर दिया पटवारी ने चारागाह की शासकीय जमीन को, उसी भूमि को पंचायत ने दिया मुरूम खदान के लिए लीज पर ……अब किसान अपने जानवरों को घर पर बांधने को हुए मजबूर
छत्तीसगढ़ : रायपुर जिले के ग्राम अभनपुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत ठेलकाबांधा में नियम विरुद्ध एवं राजस्व विभाग के दस्तावेजों में हेराफेरी कर शासकीय चरागाह को मुरुम खनन लीज पर देने का बड़ा मामला सामने आया है। इस हेराफेरी से गांव के सरपंच से लेकर पटवारी और खनिज विभाग के अधिकारी की मिलीभगत सामने आयी है।

मुरूम खनन के लिए लीज पर जिस जमीन को पंचायत द्वारा दिया गया है, वहां मनरेगा अंतर्गत तालाब का निर्माण होना राजस्व विभाग के दस्तावेजों में बताया गया है, जबकि मनरेगा के अधिकारियों का कहना है कि तालाब का निर्माण यहां हुआ ही नहीं है।

नियमों का पालन नहीं, बनाई फर्जी रिपोर्ट
अभनपुर तहसील अंतर्गत ग्राम ठेलकाबांधा के मोतीबांधा से लगी खसरा नंबर-39 भूमि 3 हेक्टेयर क्षेत्र पर मुरुम उत्खनन के लिए खनिज विभाग द्वारा लीज पर दी गई है। लेकिन लीज पर भूमि देने से पहले ना ही राजस्व विभाग के दस्तावेजों का निरीक्षण किया गया है और ना ही नियमों का पालन किया गया है।

मनरेगा के तहत जहां तालाब का निर्माण कार्य होता है, वहीं मुरुम उत्खनन की अनुमति दी जाती है, लेकिन यहां पटवारी ने दस्तावेजों में हेराफेरी करके उक्त खसरा भूमि पर मनरेगा के तहत तालाब निर्माण कार्य होना बताया गया है, जबकि यहां कभी तालाब निर्माण का कार्य हुआ ही नहीं है।

वहीं जहां मुरुम उत्खनन का कार्य चल रहा है, उसके पास में ही मोतीबांध भी है। जबकि नियमानुसार बांध से लगी जमीन पर खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस तरह पटवारी ने राजस्व विभाग के दस्तावेजों में हेराफेरी करके फर्जी रिपोर्ट तैयार कर मुरुम उत्खनन को लीज पर देने अहम भूमिका निभाई है।
