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इंजीनियरिंग डिग्रीधारियों को मिली बड़ी राहत हाईकोर्ट ने सब इंजीनियर भर्ती में डिप्लोमा की शर्त हटाई
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पीएचई विभाग में सब इंजीनियर भर्ती को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बीई डिग्रीधारी उम्मीदवार तकनीकी रूप से अधिक योग्य होते हैं। ऐसे में उन्हें केवल डिप्लोमा धारियों तक सीमित रखी गई भर्ती प्रक्रिया से बाहर करना संविधान के खिलाफ है। इस फैसले के बाद अब बीई डिग्रीधारियों के लिए भी सब इंजीनियर के पद पर अवसर खुल गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता धगेन्द्र कुमार साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा केवल डिप्लोमा धारकों को पात्र मानने के नियम को भेदभावपूर्ण असमान और मनमाना ठहराते हुए निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रतिभा साहू ने बताया कि वर्ष 2016 तक विभाग बीई और डिप्लोमा दोनों डिग्रीधारियों को सब इंजीनियर पदों के लिए पात्र मानता था। लेकिन वर्ष 2025 में अचानक नियम बदलकर केवल डिप्लोमा धारकों को ही पात्रता दी गई जिससे बीई डिग्रीधारियों को बाहर कर दिया गया। कोर्ट ने इस नीति को अनुचित मानते हुए कहा कि बीई डिग्रीधारी तकनीकी रूप से अधिक योग्य होते हैं और उन्हें बाहर करना संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है।
इस निर्णय से अब पीएचई विभाग को अपनी भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करना होगा और बीई डिग्रीधारियों को भी चयन प्रक्रिया में शामिल करने की व्यवस्था बनानी होगी। यह हजारों इंजीनियरिंग डिग्रीधारी युवाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करेगा और भविष्य की भर्तियों में व्यापक पात्रता आएगी। व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने अप्रैल 2025 में पीएचई विभाग के लिए सब इंजीनियर सिविल 118 पद और विद्युत मैकेनिकल 10 पद की भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। उस समय जारी विज्ञापन में केवल डिप्लोमा धारकों को ही पात्र माना गया था। इस पर आपत्ति जताते हुए याचिका दाखिल की गई थी जिस पर हाई कोर्ट ने बीई डिग्रीधारियों को अंतरिम राहत देते हुए परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। यह फैसला अब उन सभी बीई डिग्रीधारियों के लिए एक बड़ी जीत है जो इस पद पर नौकरी पाने की उम्मीद कर रहे थे।
