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28 साल से लंबित विस्फोटक मामले में आरोपी को झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक 28 साल पुराने विस्फोटक अधिनियम के मामले में आरोपी हुन्नैद हुसैन को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सत्र न्यायालय द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ दायर उनकी पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति बी डी गुरु की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में साफ कहा कि आरोप तय करना अंतिम फैसला नहीं है बल्कि यह सिर्फ आगे की सुनवाई के लिए एक कानूनी प्रक्रिया है।
यह मामला साल 1997 का है। रायपुर की मेसर्स तैय्यब भाई बदरुद्दीन फर्म के पार्टनर हुन्नैद हुसैन पर आरोप था कि उन्होंने बिना लाइसेंस वाले दो लोगों दीपक कुमार और रामखिलावन को विस्फोटक सामग्री बेची थी। गुप्त सूचना पर पुलिस ने इन दोनों के पास से विस्फोटक बरामद किया। पूछताछ में उन्होंने हुसैन की फर्म का नाम लिया था।
हुन्नैद हुसैन ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि जिन दस्तावेजों के आधार पर उन पर आरोप तय किए गए थे वे अधूरे थे। उन्होंने कहा कि कुछ अहम गवाहों के बयान को शामिल नहीं किया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप तय करने के चरण में अदालत अभियोजन पक्ष के सबूतों की गहराई से जांच नहीं करती। कोर्ट केवल यह देखती है कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला बनता है या नहीं।कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का भी हवाला दिया और कहा कि सिर्फ संदेह या प्रारंभिक बहस के आधार पर आरोप तय करने के आदेश में दखल नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इस 28 साल पुराने मामले में अब आगे की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सत्र न्यायालय द्वारा आरोप तय करना पूरी तरह से सही था।
