कोरबा में पैतृक संपत्ति विवाद ने पकड़ा तूल, श्री कृष्ण बिल्डकॉन पर गंभीर आरोप – महिला को कोर्ट से मिली बड़ी जीत ...

कोरबा/   शहर के पॉश इलाके पावर हाउस रोड स्थित पैतृक संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद में श्रीमती अरुणिमा सिंह ने कोर्ट में बड़ी जीत दर्ज की है। हिंद एनर्जी की सहायक कंपनी श्री कृष्ण बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ लड़े गए इस लंबे कानूनी संघर्ष में अरुणिमा सिंह ने आरोप लगाया था कि दस्तावेजों में कूट रचना कर उनकी संपत्ति हड़पी गई।

यह मामला वर्ष 2020 में तब शुरू हुआ जब 22 दिसंबर 2020 को अरुणिमा सिंह ने कोरबा कोतवाली में अपराध क्रमांक 1085/20 के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पैतृक जमीन को फर्जी दस्तावेजों के सहारे कब्जा कर लिया गया।

अदालत ने मानी दस्तावेजों की कूट रचना

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शिकायत दर्ज होने के बाद जब प्रकरण न्यायालय में पहुंचा, तो तत्कालीन पटवारी चक्रधर सिंह सिदार की जमानत याचिका क्रमांक 103/2021 को न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया अपराध सिद्ध होता है।बावजूद इसके, श्री कृष्ण बिल्डकॉन द्वारा कथित रूप से प्रशासन और पुलिस से सांठ-गांठ कर मामले की जांच प्रभावित की गई। अनुविभागीय अधिकारी कोरबा (राजस्व) श्री सुनील नायक द्वारा झूठी रिपोर्ट तैयार कर यह दर्शाने की कोशिश की गई कि कोई अपराध हुआ ही नहीं।

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प्रशासनिक आदेशों को दिखाया गया अंगूठा

आश्चर्य की बात यह रही कि पुलिस ने बिना गहराई से जांच किए ही प्रकरण को 'खात्मा' के लिए जिला न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया।इतना ही नहीं, श्री कृष्ण बिल्डकॉन ने अरुणिमा सिंह के खिलाफ सिविल कोर्ट में यह तक मामला दर्ज कर दिया कि वह मॉल में तोड़फोड़ कर रही हैं और उन्हें उनकी संपत्ति देखने से रोका जाए। लेकिन जब कोर्ट में गवाही की बारी आई, तो कंपनी के डायरेक्टर पेश नहीं हुए और कोर्ट ने एकपक्षीय फैसला देते हुए श्रीमती अरुणिमा सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाया।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

फैसले में साफ उल्लेख किया गया कि श्री कृष्ण बिल्डकॉन द्वारा दस्तावेजों की कूट रचना और धोखाधड़ी की गई है। इसके बावजूद पुलिस और प्रशासन की चुप्पी पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।क्या कोरबा पुलिस और प्रशासन जानबूझ कर न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं?
क्या श्रीमती अरुणिमा सिंह को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया?
क्या अब सरकार इस आर्थिक और मानसिक क्षति की भरपाई करेगी?

हिंद एनर्जी की भूमिका पर भी सवाल

सूत्रों की मानें तो हिंद एनर्जी और उसकी सहायक कंपनियों पर कई ऐसे मामले हैं जिनमें सरकारी संरक्षण का आरोप लगता रहा है। कहा जाता है कि पुलिस अधिकारी तक आम लोगों को समझाते हैं – "वो बड़े लोग हैं, उनसे पंगा मत लो।"अब देखना यह है कि विष्णु देव साय की सुशासन सरकार इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाती है।
क्या प्रशासन जनता के साथ खड़ा होगा या पूंजीपतियों की ढाल बना रहेगा?
क्या छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय इन अधिकारियों से जवाब मांगेगा और क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करेगा?यह मामला अब एक महिला के हक की लड़ाई से बढ़कर पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह बन चुका है।

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