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ड्रोन नहीं अब कॉकरोच बनेंगे युद्ध के हथियार, जर्मनी ने बनाया ऐसा अनोखा प्लान
पाकिस्तानी आतंकियों के ऊपर भारत का ऑपरेशन सिंदूर हो या फिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध. इन सभी में आत्मघाती ड्रोन का खूब इस्तेमाल हुआ है. जब तक ये दो युद्ध दुनिया के सामने नहीं आए थे, तब तक आम लोग शायद ही सोचते थे कि ड्रोन एक तरीके से हथियार के तौर पर यूज किया जा सकता है, लेकिन तकनीक के बदलते दौर में ड्रोन से हमले किए जा रहे हैं. वहीं इस सबके बीच अब डिफेंस सेक्टर में काम करने वाली कंपनी एक कदम आगे बढ़कर कॉकरोच और मानव रहित AI बेस्ड हथियारों को इंवेंट करने में लगे हुए हैं, जिसके बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोप की खुली आंख
रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए करीब 3 साल से ज्यादा हो गए. यूरोप को अब समझ में आने लगा है कि अपनी सुरक्षा को अमेरिका और NATO के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है. इसी वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में एक बार फिर हथियारों के विकास की होड़ शुरू हो गई है, जिसमें सबसे ज्यादा खर्च जर्मनी कर रहा है.
दरअसल यूरोप के अंदर कई छोटे देश आते हैं, जहां हथियारों के विकास के लिए कंपनियों के अलग-अलग नियम हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिका में Lockheed Martin, RTX जैसी बड़ी कंपनियां पहले से मजबूत हैं और सैटेलाइट, फाइटर जेट और स्मार्ट हथियारों में उनका दबदबा है. ऐसे में जर्मनी ने फैसला किया है कि वो 2029 तक अपने रक्षा खर्च को तीन गुना बढ़ाकर 162 अरब यूरो (करीब 175 अरब डॉलर) सालाना करेगा.
जर्मनी में हुआ सैन्य विकेंद्रीकरण
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी को सुरक्षा की गारंटी अमेरिका ने दी और जर्मनी को सीमित सैन्य संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई, जिस वजह से जर्मनी ने भी अपने रक्षा बजट में कटौती करके दूसरी जगहों पर उन्हें खर्च करना शुरू कर दिया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जर्मनी को समझ में आ गया है कि अपनी सुरक्षा को अमेरिका के हाथों में छोड़ना खतरे से खाली नहीं हो सकता.
जर्मनी बना रहा है ये खतरनाक हथियार
जर्मन सरकार ने देश के सैन्य स्टार्टअप को फंडिंग करना शुरू कर दिया है, जिसका नतीजा है कि जर्मनी अब जासूसी करने वाले कॉकरोच, मानव रहित पनडुब्बी और AI बेस्ड टैंक का निर्माण जोरशोर से कर रहा है. साइबर इनोवेशन हब के हेड स्वेन वीज़ेनेगर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद रक्षा क्षेत्र में काम करने को लेकर समाज में जो हिचक थी, वह खत्म हो रही है. अब लोग बड़ी तादाद में रक्षा टेक्नोलॉजी के आइडिया लेकर आ रहे हैं.
Swarm Biotactics नाम की कंपनी साइबोर्ग कॉकरोच बना रही है. यानी असली तिलचट्टों को छोटे बैकपैक पहनाकर उन पर कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि वे दुश्मन के इलाके में जाकर डेटा इकट्ठा कर सकें. इनके मूवमेंट को इलेक्ट्रिक सिग्नल से कंट्रोल किया जा सकता है.
