वन विभाग में 'भ्रष्टाचार का बांध'! बिना निर्माण 1.38 करोड़ स्वाहा, IFS का कबूलनामा!

 

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बैकुंठपुर। छत्तीसगढ़ के तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां सात स्टॉपडेम के निर्माण के बिना ही सरकारी खजाने से पूरे 1.38 करोड़ रुपए निकाल लिए गए! इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है, क्योंकि इस वित्तीय अनियमितता का कबूलनामा खुद टाइगर रिजर्व के संचालक, IFS अधिकारी सौरभ ठाकुर ने किया है। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि वनबल प्रमुख एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) श्री वी. श्रीनिवास राव इस गंभीर मामले पर रहस्यमय चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?

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खोखले' स्टॉपडेम, 'फर्जी' भुगतान! IFS ठाकुर का सनसनीखेज कबूलनामा

 

 

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, PCCF श्रीनिवास राव ने जब इस मामले में IFS सौरभ ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी किया, तो उनके जवाब ने भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी। ठाकुर ने अपने जवाब में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि आनन-फानन में केवल दो या तीन स्टॉपडेम ही निर्माणाधीन हैं, और उनकी गुणवत्ता भी बेहद घटिया है। वहीं, पांच स्टॉपडेम का कार्य तो अब तक शुरू भी नहीं हो सका है! लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन अधूरे और गैर-मौजूद कार्यों के लिए भी पूरा भुगतान कर दिया गया है। यानी, धरातल पर निर्माण कहीं नहीं, लेकिन कागजों पर 1.38 करोड़ रुपए का समायोजन मार्च के खाते में कर दिया गया! शिकायतकर्ता अब्दुल सलाम कादरी के आरोपों को खुद विभागीय दस्तावेज और IFS अधिकारी का कबूलनामा सही साबित कर रहा है, जिसने बिना काम के ही भुगतान कर डालने का सनसनीखेज खुलासा किया है।

 

PCCF की रहस्यमय चुप्पी, क्या बचा रहे हैं 'दागी' IFS को?

 

अब सबसे बड़ा और रहस्यमय सवाल यह है कि जब खुद एक जिम्मेदार IFS अधिकारी ने वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की पुष्टि कर दी है, तो वनबल प्रमुख श्री वी. श्रीनिवास राव इस मामले को शासन के संज्ञान में क्यों नहीं ला रहे हैं? विशेषज्ञों की मानें तो यह मामला छत्तीसगढ़ वित्तीय नियम 84(1), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और सरकार कार्य संचालन मैनुअल का घोर उल्लंघन है, जो सीधे-सीधे आपराधिक कार्रवाई को आमंत्रित करता है।

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क्या श्रीनिवास राव किसी दबाव में हैं या फिर वह जानबूझकर सौरभ ठाकुर को बचाने की कोशिश कर रहे हैं? यह पहली बार नहीं है जब PCCF श्रीनिवास राव पर भ्रष्टाचार के आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप लगे हैं। इससे पहले सुकमा के DFO अशोक पटेल पर लगे तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में भी उन्होंने विभागीय कार्रवाई को दो महीने तक रोक कर रखा था। सूत्रों की मानें तो इस बार भी सौरभ ठाकुर को समय दिया जा रहा है ताकि वह आनन-फानन में कुछ निर्माण कार्य दिखाकर मामले को रफा-दफा कर सकें। लेकिन शिकायतकर्ता के पास तारीखवार वीडियो और फोटो सबूत मौजूद हैं, जो यह साबित करते हैं कि मार्च के अंत तक मौके पर कोई काम नहीं हुआ था।

इस पूरे मामले पर अब एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की भी नजर है। सूत्रों के अनुसार, शिकायत इन एजेंसियों को भी भेज दी गई है और प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है। यदि विभाग के स्तर पर इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो सौरभ ठाकुर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना तय माना जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि जब एक IFS अधिकारी खुद अपने 'अपराध' को कबूल कर रहा है, तो वनबल प्रमुख की चुप्पी किसका संरक्षण कर रही है? क्या एक ताकतवर IFS लॉबी के दबाव में पूरा विभाग झुक गया है? 

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