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थाने में न्याय मांगना पड़ा महंगा! शिकायत करने गए युवक को सिपाही ने पीटा, बहन को लेकर की अभद्रता – अब तक FIR तक नहीं
जांजगीर चांपा | छत्तीसगढ़ में सुशासन का दावा कर रही सरकार के लिए जांजगीर चांपा जिले के बलौदा थाना से आई यह खबर शर्मिंदगी का कारण बन सकती है। एक युवक जब मोबाइल लूट की शिकायत लेकर थाने पहुंचा, तो उसे इंसाफ देने की बजाय पुलिसकर्मी ने थप्पड़ मारे और उसकी बहन को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। हैरानी की बात यह है कि घटना को दो दिन से अधिक बीत चुके हैं लेकिन अब तक किसी दोषी पर न तो एफआईआर हुई, न ही कोई गिरफ्तारी।
क्या है मामला?
11 मई की रात लगभग 11:30 बजे बलौदा थाना क्षेत्र के एक युवक का मोबाइल लूट लिया गया। जब वह इसकी शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचा, तो वहां मौजूद सिपाही ने उसकी बात सुनने के बजाय बहन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और थप्पड़ मारकर भगा दिया। यह घटना थाना परिसर में मौजूद कई चश्मदीदों के सामने हुई और सीसीटीवी में कैद भी हुई है।
थाने से लौटते ही हमला
थाने से निकलने के बाद युवक पर रास्ते में फिर हमला हुआ। अमित कुमार ठाकुर नामक व्यक्ति और उसके साथियों ने रास्ता रोककर मारपीट की। युवक को दोनों जांघों में गंभीर चोटें आई हैं और वह न ठीक से चल पा रहा है, न ही काम पर जा पा रहा है।
प्रशासन की चुप क्यों
इतनी गंभीर घटना के बावजूद न तो आरोपी सिपाही पर कोई अपराध दर्ज हुआ है, न ही उन्हें निलंबित किया गया है। इससे सवाल उठता है – क्या पुलिस विभाग अपने ही लोगों को बचाने में लगा है?
SSP ने लिया संज्ञान, पर कार्रवाई अधूरी
पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला को ज्ञापन सौंपा, जिसके बाद एसडीओपी को जांच सौंपी गई। मगर दो दिन बाद भी नतीजा शून्य है।
सुशासन या दिखावा?
थाने में न्याय मांगने वाला अगर खुद पीड़ित बन जाए, तो “सुशासन त्यौहार” जैसे अभियानों का क्या मतलब? यह घटना सरकार की कार्यशैली और पुलिस की जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े करती है।
