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तिल्दा से अरबों की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा: लालवानी परिवार की संपत्ति पर जांच की आंच...
RAIPUR/ महादेव सट्टा एप से जुड़े देशव्यापी मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट की कड़ियाँ अब छत्तीसगढ़ के तिल्दा तहसील से भी जुड़ती नज़र आ रही हैं।
गोविन्द लालवानी उर्फ बब्बन लालवानी और नंदलाल लालवानी – दोनों फिलहाल जेल में बंद हैं… लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि इन दोनों ने इतनी कम उम्र में अरबों की संपत्ति कैसे खड़ी कर ली?
सूत्रों के मुताबिक, इनकी अघोषित बैनामी संपत्तियाँ रायपुर जिले से लेकर मध्यप्रदेश तक फैली हुई हैं।नंदलाल लालवानी की पत्नी कोमल लालवानी, बेटी डिंकी लालवानी, और गोविन्द की पत्नी मान्या लालवानी – इन तीनों के नाम भी करोड़ों की संपत्ति दर्ज है।आरोप है कि इन महिलाओं ने षड़यंत्र के तहत इस मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन को संरक्षण दिया, और काले धन को संपत्ति में तब्दील करने में सक्रिय भूमिका निभाई।इनके नाम पर खरीदी गई संपत्तियाँ किस स्रोत से आईं, इसका कोई स्पष्ट जवाब अब तक नहीं मिल पाया है।नंदलाल लालवानी के जबलपुर निवासी भाई, सौतेली माता, और सतना की बहन – इन सबके नाम भी करोड़ों की संपत्ति सामने आई है।यह पूरी कड़ी बताती है कि मनी लॉन्ड्रिंग का ये खेल केवल दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं है…बल्कि इसका नेटवर्क परिवार के हर सदस्य तक फैला हुआ है।अब मांग उठ रही है कि इन सभी पर एफ.आई.आर. दर्ज की जाए,ईडी (ED), सीबीआई (CBI) और एसीबी (ACB) के ज़रिए जांच कर संपत्तियों को जब्त किया जाए, और जहां ज़रूरी हो – बुलडोजर चलाया जाए।इतना ही नहीं… तिल्दा में रहने वाले इनके करीबी 'मेघानी' परिवार की भी जांच की माँग उठ रही है,जिन्हें इस नेटवर्क का सहयोगी माना जा रहा है।ये पूरा मामला सिर्फ सट्टेबाज़ी का नहीं…बल्कि सोच-समझकर रचा गया आर्थिक अपराध है,जिसने तिल्दा जैसे छोटे कस्बे को अपराधगढ़ बना दिया है।अब वक्त है कि सिर्फ सरगनाओं पर नहीं,बल्कि इस पूरे संपत्ति साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने की कार्रवाई की जाए।इस केस की गहराई से जांच, न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देश भर में फैले ऐसे डिजिटल अपराध तंत्र पर रोक लगाने का पहला क़दम साबित हो सकता है।
