अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला, 8 एसडीएम ने बांटा गलत मुआवजा, 10 करोड़ की वसूली अटकी

बिलासपुर, अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण में 8 एसडीएम द्वारा गलत मुआवजा बांटा गया है। बात सामने तब आई जब एक जांच रिपोर्ट में इस बात की जानकारी हुई कि 104 गांवों की जमीन के लिए 391.52 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा गया, जिसमें 18 गांवों में ही 7 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी हुई है। इस घोटाले में दोषी अधिकारियों की पहचान कर भी उन पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है और 10 करोड़ रुपये की वसूली भी अब तक नहीं हो पाई है।

मीडिया के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, साल 2014-15 में पत्थरखंडा बांध से प्रभावित 11, 19 का प्रकाशन किया गया और तुरंत मुआवजा बांट दिया गया। नहर के लिए 104 गांवों की जमीन ली गई थी। इस मामले में संभाग कमिश्नर सुनील जैन ने कहा कि उन्हें धारा 11, 19 के प्रकाशन के बिना मुआवजा बांटने की जानकारी नहीं है और नए तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया 2014-15 में शुरू हुई थी और तभी से गड़बड़ी शुरू हो गई। उस समय के एसडीएम ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास अधिनियम का पालन किए बिना ही धारा 11 के तहत प्रारंभिक प्रकाशन कर दावा आपत्ति मंगाई और 2019 के तहत अंतिम प्रकाशन के बिना सीधे मुआवजा बांट दिया। जब इस मामले की शिकायत हुई, तो तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार ने जांच कराई।

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अरपा भेंसाझार प्रोजेकट के अंतगंत प्रस्तावित नहर के लिए जमीन अधिग्रहण में राजस्व अधिकारियों ने बडीं गड़बड़ी की है। मीडिया के पास जो दस्तावेज हैं, उसके मुताबिक 2014-15 से पदस्थ आठ एसडीएम धारा-11, 19 का प्रकाशन के बगैर मआवजा बांट दिया। सिर्फ 18 गांव में। ही 7 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया है। नहर के लिए 104 गांव की जमीन अधिग्रहित की गईं है, जिनमें 391.52 करोड़ का मुआवजा वितरण किया गया है।

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इस संबंध में जब संभाग कामिश्नर सुनील जैन से बात की गईं तो उनका कहना था कि उनकी जानकारी मँं धारा- 11, 19 के प्रकाशन के बिना मुआवजा बांटने की जानकारी नही रै। भी नए तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कारयंवाही की जाएगी।जांच में यह भी पता चला कि जमीन अधिग्रहण में सिर्फ प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया, बल्कि धारा 19 के प्रकाशन के बाद जमीन का रकबा भी बढ़ा दिया गया। यह सब खामोशी से चलता रहा। जब तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार से शिकायत हुई, तब उन्होंने सीमित जांच कराई। इस जांच में जो अधिकारी दोषी थे उन पर कार्रवाई की गई, लेकिन बाकी गांवों में हुई गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया गया, और जिन एसडीएम के कार्यकाल में यह गड़बड़ी हुई, उन्हें छोड़ दिया गया।

इससे पहले की जांच में एक कमेटी ने 10 मामलों में गलत मुआवजा बांटने के बाद 10.68 करोड़ रुपये की वसूली के निर्देश दिए थे। यह राशि अभी तक वसूल नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन अब नए सिरे से नहर के लिए ली गई जमीन की जानकारी जुटा रहा है, जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।

ये है तत्कालीन sdm 

 

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