सीजीएमएससी घोटाले में अब ईडी की एंट्री, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू

एसीबी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी कसी कमर, ईसीआईआर दर्ज कर जांच में जुटी टीम

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री हो गई है। भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले में अब मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका के चलते ईडी ने भी अपनी जांच शुरू कर दी है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, ईडी ने इस मामले में ईसीआईआर दर्ज कर कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि सीजीएमएससी घोटाले की जांच पहले से ही एसीबी/ईओडब्लू कर रही है। एसीबी ने 22 जनवरी 2025 को एफआईआर दर्ज कर इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी। इस घोटाले में फिलहाल फोकस तीन टेंडरों पर है, जिनमें टेंडर प्रक्रिया के नियमों की अनदेखी की बात सामने आई है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि टेंडर प्रक्रिया में कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं और गड़बड़ियों की साजिश किस स्तर पर रची गई।अब तक मोक्षित ग्रुप के शशांक चोपड़ा समेत सीजीएमएससी में कार्यरत पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इनमें तत्कालीन एमडी और खरीद शाखा से जुड़े अधिकारी शामिल हैं।सूत्रों का दावा है कि इस पूरे घोटाले में करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। मेडिकल उपकरणों और दवाइयों की खरीद में वास्तविक मूल्य से कहीं अधिक भुगतान किया गया। रिएजेंट नामक उत्पाद की खरीद पर विशेष सवाल खड़े हुए हैं। कुछ रिपोर्ट्स में इस घोटाले की राशि करीब 600 करोड़ रुपये बताई जा रही है, जबकि एसीबी के सूत्रों के अनुसार करीब 300 करोड़ रुपये के भुगतान बिल अब भी लंबित हैं।

ईडी की जांच शुरू होते ही यह मामला और गंभीर हो गया है। अब इसमें वित्तीय लेनदेन, संपत्ति की खरीद, और शेल कंपनियों के माध्यम से पैसे के गबन की कड़ी जांच की जाएगी। इससे आने वाले समय में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

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