भिलाई स्टील मेडिकल कॉलेज में फर्जी डॉक्टर गिरोह सक्रिय, CBI जांच की सुगबुगाहट.....!

भिलाई/नई दिल्ली। भिलाई स्टील मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा के नाम पर चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एमबीबीएस डॉक्टरों को विशेषज्ञ (एमडी/एमएस) बताकर नौकरी देने और नकली कागजों के दम पर कॉलेज की मान्यता बचाने का बड़ा खेल उजागर हुआ है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) स्टूडेंट विंग छत्तीसगढ़ की शिकायत पर यह मामला चीफ विजिलेंस ऑफिसर के कार्यालय से सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया गया है। यह लीगल शिकंजा अब कॉलेज के चेयरमैन, निजी सलाहकार पल्लवी सिंगोटे और डीन डॉ. प्रकाश बकोड़े पर कसता दिख रहा है, जिन पर फर्जी भर्ती का आरोप है।

मान्यता बचाने के लिए चलता था डॉक्टर ऑन डिमांड खेल

शिकायत के अनुसार कॉलेज में पढ़ाने वाले डॉक्टर नियमित नहीं होते हैं। लेकिन, जब भी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की टीम निरीक्षण के लिए आने वाली होती है, तो आनन-फानन में दो-चार दिन के लिए बाहरी डॉक्टरों को बुलाया जाता था। इन डॉक्टरों की पूरे साल की फर्जी हाजिरी लगा दी जाती थी, ताकि निरीक्षण टीम को लगे कि कॉलेज में पर्याप्त विशेषज्ञ फैकल्टी मौजूद है। इस तरह से कॉलेज हर साल आसानी से अपनी मान्यता बचा लेता था और मरीजों की जान से खिलवाड़ जारी रहता था।

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शिकायतकर्ता ने बताया कि रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी, शंकराचार्य समूह और साइंस कॉलेज भिलाई जैसे संस्थानों में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा पहले पकड़ा जा चुका है। आरोप है कि भिलाई स्टील मेडिकल कॉलेज में भी वही गफलत चल रही है—यानी फर्जी कागज, फर्जी विशेषज्ञ और फर्जी हाजिरी का संगठित गिरोह।

जांच रोकने के लिए किसने दबाई फाइल?

जानकारी ये भी है कि इस पूरे मामले के पक्के दस्तावेज और सबूत संबंधित विभागों के पास मौजूद थे, फिर भी मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सूत्रों के अनुसार, शिकायत में सीधे-सीधे आरोप लगाया गया है कि राज्य के कुछ अधिकारी शिकायत फाइल दबाकर बैठे रहे। इससे प्रश्न उठ रहा है कि ये बाबूशाही के रखवाले आखिर किसकी और किस कीमत पर रक्षा कर रहे थे, जिसने जांच को इतने समय तक रोके रखा।

चूंकि यह मामला मेडिकल शिक्षा की पवित्रता, मरीजों की सुरक्षा और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की पूरी प्रक्रिया से जुड़ा है, इसलिए इसे बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि मामला अब सीबीआई के पास पहुंच चुका है और जल्द ही इस पर शुरुआती जांच शुरू हो सकती है। इस बड़े फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद राज्य के बाकी मेडिकल कॉलेजों की निगरानी व्यवस्था पर भी उंगलियां उठने लगी हैं।

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