आबकारी घोटाले में सरकार की ओर से EOW और ACB के अभियोजन अधिकारी मिथिलेश वर्मा का बलरामपुर-रामानुजगंज तबादला : मगर अब तक नहीं हुए रिलीव, स्थानांतरण नीति 2025 के नियमो की उड़ा रहे है धज्जिया 

रायपुर। छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने लोक अभियोजन निदेशालय में पदस्थ कई अधिकारियों कर्मचारियों का 30 जून को तबादला किया था l जारी आदेश के अनुसार उप निदेशक अभियोजन श्री मिथिलेश कुमार वर्मा को बलरामपुर रामानुजगंज जिले में पदस्थ किया गया है। लेकिन आदेश जारी होने से आज दिनांक तक वो विभाग से रिलीव नहीं हुए है l 

            नया रायपुर महानदी भवन से आदेश जारी होने के बाद अधिकाश अधिकारी अपने अपने विभागों में पदभार ग्रहण कर चुके है। जानकारी के मुताबिक जारी आदेश में कुल 29 अधिकारी कर्मचारियों का तबादला हुआ है इस आदेश में विभाग ने अगले नियुक्ति आदेश तक अस्थायी रूप से लागू रहने की बात कही है l 

बता दें कि मिथिलेश वर्मा बहुचर्चित आबकारी घोटाले मामले में सरकार की ओर से अभियोजन अधिकारी थे l जिन्होंने आरोपी अधिकारियों को बिना पेश हुए ही चालान स्वीकार किया था। इस मामले को राष्ट्रीय जगत विजन ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था 

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            स्थानांतरित होने वाले अन्य प्रमुख अधिकारियों में दुर्ग की उप निदेशक अभियोजन श्रीमती अनुरेखा सिंह चंदेल को बालोद भेजा गया है। बालोद एसीबी रायपुर और महासमुंद में पदस्थ उप निदेशक अभियोजन श्री प्रेमेन्द्र कुमार वैसवाड़े को खैरागढ़ में गृह मंत्री की निजी स्थापना से संबद्ध किया गया है। संचालनालय लोक अभियोजन नवा रायपुर में पदस्थ उप निदेशक अभियोजन श्रीमती कंचन निर्मलकर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में नोडल अधिकारी बनाया गया है। सूरजपुर की सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती पदमा साहू को दुर्ग में उप निदेशक अभियोजन का जिम्मा सौंपा गया है।

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18 जुलाई को जमानत याचिका पर होगी सुनवाई 

छत्तीसगढ़ में कथित करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में लगातार जांच जारी है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सात जुलाई को विशेष अदालत में 2300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी । इस चार्जशीट में 29 से अधिक आबकारी विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था l आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने अग्रिम जमानत के लिए आर्थिक अपराध शाखा (EOW में याचिका दायर की है l जिस पर 18 जुलाई को सुनवाई होना है l पिछली सुनवाई में मिथिलेश वर्मा ने अभियोजन अधिकारी के रूप में मामले में सुनवाई की थी पिछली सुनवाई में अभियोजन अधिकारी मिथलेश वर्मा ने न्यायलय में बिना उपस्थित हुए ही आरोपी अधिकारियो की चालान स्वीकार कर ली थी जिस पर न्यायपालिका पर सवाल उठने लगे थे l 

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रही है। ED की जांच और दर्ज एफआईआर के मुताबिक, घोटाले का आंकड़ा 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। ED ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन समय में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर एक सिंडिकेट खड़ा किया, जिसने शराब बिक्री, फर्जी बिलिंग और लाइसेंस आवंटन के जरिए करोड़ों की अवैध कमाई की। अब अदालत में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजर है, क्योंकि इसका असर घोटाले से जुड़े पूरे मामले की दिशा और अफसरों के भविष्य पर पड़ सकता है।

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स्थानांतरण नीति 2025 के कंडिका क्रमांक 7 पढ़े .......

7. नीति के पालन का दायित्व 

स्थानांतरण सबंधी उपरोक्त नीति/निर्देश का पालन सुनिश्चित हो, उसकी जिम्मेदारी शासन स्तर से जारी स्थानांतरण आदेश के लिए विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव/सचिव की तथा जिला स्तर से जारी स्थानांतरण आदेश हेतु संबंधित कलेक्टर की होगी। वे विशेष रूप से सुनिश्चित करें किः-

7.1 स्थानांतरण नीति 2025 का पालन हो रहा है।

7.2 किसी भी स्तर के स्थानांतरण आदेश अनुमोदन की प्रत्याशा में जारी नहीं किये जाएंगे।

7.3 शासकीय सेवकों के पदस्थापना / स्थानांतरण के फलस्वरूप नवीन पदस्थापना स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के संबंध में जारी परिपत्र क्रमांक एफ 1-1/2024/एक/6 दिनांक 2511.2024 में दिये गए निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए।

 

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