DMF घोटाले में जमानत याचिका खारिज, पूर्व IAS रानू साहू समेत चार की याचिका पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

90 करोड़ के घोटाले में अदालत ने कहा- प्रथम दृष्टया अपराध की पुष्टि, समर वेकेशन में लगी पहली कोर्ट ने सुनाया फैसला

बिलासपुर। बहुचर्चित जिला खनिज न्यास निधि (DMF) घोटाले में फंसे पूर्व IAS रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया, एनजीओ संचालक मनोज कुमार और सूर्यकांत तिवारी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इन चारों ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

यह सुनवाई मंगलवार को समर वेकेशन के दौरान लगी पहली वेकेशन कोर्ट में हुई। जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि FIR और केस डायरी के दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12 के तहत गंभीर आपराधिक कृत्य में संलिप्त हैं। कोर्ट ने कहा कि पेश रिकॉर्ड और दस्तावेजों को पढ़ने से यह साफ है कि इनका सीधा संबंध घोटाले से है। इसी आधार पर सभी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं।

 

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90 करोड़ रुपये से अधिक का है घोटाला

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के अनुसार, यह घोटाला करीब 90 करोड़ 48 लाख रुपये का है। आरोप पत्र में अब तक 16 लोगों के नाम सामने आ चुके हैं, जिनमें निलंबित IAS रानू साहू, महिला एवं बाल विकास विभाग की पूर्व अधिकारी माया वारियर, ब्रोकर मनोज द्विवेदी प्रमुख रूप से शामिल हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि अधिकारियों को टेंडर स्वीकृति के एवज में 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया।

 

अभी न्यायिक हिरासत में हैं आरोपी

चारों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब उन्हें राहत के लिए उच्च अदालत का रुख करना पड़ सकता है। अदालत का यह सख्त रुख घोटाले की गंभीरता को रेखांकित करता है।

 

न्यायालय का संदेश साफ: भ्रष्टाचार के मामलों में कोई राहत नहीं

इस फैसले से स्पष्ट है कि कोर्ट भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों में किसी भी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है। न्यायालय ने अपने फैसले में साफ किया कि गंभीर आर्थिक अपराधों में लिप्त व्यक्तियों को जमानत नहीं दी जा सकती।

 

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