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2800 करोड़ का शराब घोटाला: 30 अफसरों पर FIR, अभियोजन को सरकार की मंजूरी
सरकारी दुकानों से दो नंबर की शराब बेचने का खुलासा, EOW ने खोली परतें
रायपुर। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार में हुआ 2800 करोड़ रुपए का शराब घोटाला अब निर्णायक मोड़ पर है। सरकार के विधि विभाग ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को अभियोजन की अनुमति दे दी है। इससे अब घोटाले में संलिप्त 21 आबकारी अफसरों पर कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। जांच एजेंसी EOW ने अपनी पड़ताल में पाया कि करीब 60 लाख पेटियों पर नकली होलोग्राम लगाकर दो नंबर की शराब बेची गई। ये शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जा रही थी। प्रत्येक पेटी में 48 बोतलें थीं, यानी 28 करोड़ 80 लाख बोतलें अवैध रूप से बाजार में उतारी गईं। इसकी कीमत करीब 2800 करोड़ रुपए आंकी गई है।
होलोग्राम बनाने वाली कंपनी के जब्त लैपटॉप से मिली जानकारी के अनुसार, एक ही सीरियल नंबर के कई-कई होलोग्राम बनाए जाते थे। एक होलोग्राम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होता, जबकि बाकी का उपयोग अवैध बिक्री में किया जाता। दुकानों में दो गल्लों की व्यवस्था थी, जिसे ऑपरेट करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता था। इस पूरे सिस्टम का संचालन अरुणपति त्रिपाठी नामक व्यक्ति करता था, जिसे अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था।
EOW ने अब तक जिन अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज की है, उनमें जनार्दन कौरव, अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, प्रमोद नेताम, इकबाल खान, आशीष कोसाम समेत 21 नाम शामिल हैं। इसके अलावा 9 अन्य अफसरों की संलिप्तता की पुष्टि भी जांच में हुई है।आरोपित अफसरों ने बचाव में कहा है कि यह सिस्टम की गलती थी, न कि उनकी। वहीं, लाइजनिंग का काम देखने वाले अतुल सिन्हा का नाम भी सामने आया है, जो शराब कंपनियों से फीस लेकर बिक्री को प्रभावित करता था।
