- Hindi News
- छत्तीसगढ़
- नदिया से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर 9 मजदूरों के अपहरण का आरोप लगाया, बस्तर सां...
नदिया से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर 9 मजदूरों के अपहरण का आरोप लगाया, बस्तर सांसद महेश कश्यप ने दिया करारा जवाब
रायपुर/कृष्णनगर: पश्चिम बंगाल की नदिया लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके संसदीय क्षेत्र के 9 मजदूरों को उनके कार्यस्थल से कथित तौर पर 'अपहरण' कर लिया है। यह घटना रविवार 13 जुलाई को बस्तर जिले के अल्बेरापाड़ा में एक निजी स्कूल के निर्माण स्थल पर हुई। मोइत्रा ने एक्स पर एक वीडियो जारी कर इन आरोपों को 'सरकारी अपहरण' और 'फर्जी आरोप' करार दिया है।
मोइत्रा के इस बयान पर बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि "ये बस्तर है बंगाल नहीं पुलिस अपना काम करेगी। टीएमसी ने बंगाल को बर्बाद किया है इसलिए वे बस्तर की चिंता ना करें।" कश्यप ने आगे कहा कि महुआ मोइत्रा को बस्तर के बारे में कोई भी बयान देने का अधिकार नहीं है।
सांसद महुआ मोइत्रा ने 15 जुलाई को जारी अपने वीडियो में बताया कि इन मजदूरों के परिवार चिंतित हैं लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने न तो परिवारों को और न ही पश्चिम बंगाल सरकार को कोई जानकारी दी है। उनका आरोप है कि बस्तर जिले के अल्बेरापाड़ा में काम कर रहे 9 बंगाली राजमिस्त्री को रविवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। मोइत्रा का दावा है कि इन मजदूरों के पास सभी वैध दस्तावेज थे फिर भी उन्हें जेल में डाल दिया गया और परिजनों से संपर्क करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी से संपर्क करने का भी जिक्र किया जिनकी बातचीत ने उन्हें हैरान कर दिया।
मोइत्रा ने आरोप लगाया कि 9 मजदूरों को बस्तर के पास जगदलपुर जेल में बंद किया गया है और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 128बी (पहचान छिपाकर आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने एक पुलिस अधीक्षक के साथ बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि अधिकारी ने दावा किया कि इन मजदूरों पर आदिवासी महिलाओं के साथ रेप का आरोप है जिसकी जांच चल रही है। मोइत्रा ने इसे 'फर्जी आरोप' बताया।
हालांकि कोंडागांव पुलिस ने इस मामले में अलग दावा किया है। कोंडागांव पुलिस के मुताबिक मजदूरों ने अपनी पहचान छिपाई थी। इस मामले को धारा बीएनएसएस 128 के तहत कोर्ट में पेश किया गया जहां से सभी को छोड़ दिया गया। पुलिस ने बताया कि जिले में देश के कई राज्यों से लोग फेरी का व्यापार या छोटा मोटा व्यवसाय करने आते हैं। इनमें कुछ लोग फर्जी नाम पता और पहचान पत्र का इस्तेमाल करते हैं। पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। एक गंभीर मामले में फेरी वाले के रूप में आए लोगों ने एक युवती को बहला फुसलाकर मुंबई ले गए। उसे 6 महीने तक एक कमरे में बंद रखा गया खिड़की से खाना दिया जाता था। विरोध करने पर उसके साथ क्रूरता की गई। एक अन्य मामले में एक युवती को कश्मीर ले जाया गया। कोंडागांव पुलिस का कहना है कि वे न तो किसी विशेष राज्य के खिलाफ हैं और न ही किसी के रोजगार के खिलाफ। उनका मानना है कि लोगों को अपनी वास्तविक पहचान नहीं छिपानी चाहिए।
