जिले में बेलगाम अवैध खनन: खनिज माफिया, जनप्रतिनिधि और अफसरों की मिलीभगत से लूट जारी

मंगला-निरतू समेत दर्जनों खदानों पर अवैध खुदाई, खनिज विभाग बना मूकदर्शक

 

बिलासपुर। जिले और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन का कारोबार दिन-ब-दिन बेलगाम होता जा रहा है। रेत, मुरूम और अन्य खनिजों का दोहन खुलेआम जारी है, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंख मूंदे बैठा है। नियमों को ताक पर रखकर खदानों से खनिज निकाले जा रहे हैं। खनिज विभाग, जनप्रतिनिधियों और पंचायतों की मिलीभगत से माफिया की चांदी कट रही है।

       मंगला और निरतू की रेत खदानें इसका बड़ा उदाहरण हैं। यहां खनन न तो नियम से हो रहा है, न ही वैध अनुमति के आधार पर। सिर्फ ग्राम पंचायत की एनओसी के आधार पर महीनों से अवैध खुदाई की जा रही है। खनिज विभाग से अनुमति नहीं ली गई, फिर भी अफसर चुप्पी साधे हैं। सवाल यह है कि आखिर क्यों?

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जिला पंचायत के पदाधिकारी तक स्वीकारते हैं कि खदानों का संचालन अवैध है, फिर भी कार्रवाई नहीं होती। खनिज विभाग के अफसर हर बार वही रटा-रटाया जवाब देते हैं—"शिकायत नहीं मिली है, इसलिए कार्रवाई नहीं की गई।"

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सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि इस अवैध धंधे के पीछे एक जिला पंचायत सदस्य की भूमिका भी सामने आई है, जो खनन माफिया को संरक्षण दे रही है। इतना ही नहीं, कई पंचायत प्रतिनिधि भी माफिया से मिले हुए हैं और अपनी चुप्पी के बदले मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।जिले के शायद ही कोई ऐसा ब्लॉक हो जहां अवैध खदानें न चल रही हों। बिना खनिज विभाग की अनुमति के, बड़े पैमाने पर खुदाई हो रही है। विभागीय निरीक्षक और अफसर सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे हैं।

जनता में गुस्सा है, लेकिन डर के कारण कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं। सवाल उठता है कि जब अधिकारी, जनप्रतिनिधि और माफिया एक साथ हों, तो अवैध खनन पर लगाम कौन लगाएगा? क्या जिले की नदियां ऐसे ही लुटती रहेंगी?

 

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