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कोयले के काले कारोबार को 'प्रशासन का संरक्षण': रायगढ़-बिलासपुर में बेखौफ खेल, एयर डिस्टेंस नियम भी ताक पर
रायगढ़/बिलासपुर। जिले में कोयले का अवैध कारोबार इन दिनों बेखौफ होकर चल रहा है। इसकी सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस गोरखधंधे को जिला प्रशासन का खुला संरक्षण मिल रहा है। यही वजह है कि जिले की कोल वाशरी और उद्योगों में न तो कोयले के स्टॉक की जांच हो रही है और न ही खपत की। खनिज विभाग की इस खुली छूट के कारण ट्रांसपोर्टर और उद्योग प्रबंधन अवैध कोयला खपाकर मालामाल हो रहे हैं। यह खेल सिर्फ रायगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि बिलासपुर भी इस काले कारोबार से अछूता नहीं है।
लापरवाही की इंतहा: कोल वाशरियों में एयर डिस्टेंस' नियम भी तोड़ा
जिले में चल रहे इस अवैध कारोबार की जड़ें प्रशासन की गहरी लापरवाही में हैं। कोल वाशरियों की पिछली कार्रवाई के बाद चार साल से जाँच पूरी तरह से बंद है, जिसका फायदा उठाकर कारोबारी हर नियम को ताक पर रख रहे हैं।
खनिज और पर्यावरण नियमों के तहत, कोल वाशरियों को स्थापित करने के लिए एक अनिवार्य 'एयर डिस्टेंस' का पालन करना होता है।
क्या है 'एयर डिस्टेंस' नियम?
पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनओसी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोल वाशरी को खनन क्षेत्र खदान से न्यूनतम 25 किमी मीटर की दूरी पर स्थापित करना अनिवार्य है।
लेकिन सूत्रों के अनुसार, रायगढ़ और बिलासपुर दोनों जिलों में कई कोल वाशरियां इस एयर डिस्टेंस नियम का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन कर रही हैं। और सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है
ओडिशा से आ रही अवैध खेप, रूटीन जांच भी ठंडे बस्ते में
सबसे ज्यादा शिकायतें ओडिशा बॉर्डर से लगे क्षेत्रों, जैसे जामगांव, नटवरपुर, घरघोड़ा और तमनार से आ रही हैं। बताया जाता है कि ओडिशा के गोपालपुर और लखनपुर क्षेत्र से बड़े पैमाने पर अवैध कोयले की खेप ट्रकों से लाकर यहां के उद्योगों में खपाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि ओडिशा में कुछ दिनों पहले विधानसभा सत्र में भी इस अवैध कारोबार को लेकर सवाल उठाए गए थे, इसके बावजूद रायगढ़ प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है।
नियमानुसार कोल वाशरी और उद्योगों में कोयले के भंडारण और लाइसेंस की हर दो से तीन माह में रूटीन जांच होनी चाहिए। लेकिन खनिज विभाग में निरीक्षकों की कमी का हवाला देकर यह जांच भी नहीं हो रही है। इस ढिलाई से कोल वाशरियों में अच्छे ग्रेड के कोयले में मिलावट करने का खेल भी बेरोकटोक जारी है।
इस पूरे मामले पर जिला खनिज अधिकारी रमाकांत सोनी ने बताया, इस तरह की कोई शिकायत अभी मिली नहीं है। अगर ऐसा है तो कोल वाशरियों की जांच कराई जाएगी। जांच में गलत मिलता है तो संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, चार साल से जांच क्यों नहीं हुई? और 'एयर डिस्टेंस' नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? इन सवालों पर अधिकारी चुप्पी साधे रहे। जिला प्रशासन का यह रवैया कोयला कारोबारियों को लाखों-करोड़ों की अवैध कमाई करने का खुला लाइसेंस दे रहा है, जिसका सीधा नुकसान सरकारी राजस्व और आम जनता के स्वास्थ्य को हो रहा है।
