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अंतराज्यीय शराब का आरोपी याने अमरपति त्रिपाठी

अंतराज्यीय शराब का आरोपी याने अमरपति त्रिपाठी रायपुर : छतीसगढ़ में एक समाचार आग की तरह फैला या फैलाया गया ये प्रश्न है। शराब मामले को लेकर , ईडी औऱ अलग अलग तरीके से अलग अलग राज्यो में जांच कर रही है। आयकर औऱ सीबीआई के जांच के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जब […]

अंतराज्यीय शराब का आरोपी याने अमरपति त्रिपाठी
रायपुर : छतीसगढ़ में एक समाचार आग की तरह फैला या फैलाया गया ये प्रश्न है। शराब मामले को लेकर , ईडी औऱ अलग अलग तरीके से अलग अलग राज्यो में जांच कर रही है। आयकर औऱ सीबीआई के जांच के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जब ईडी की एंट्री होती है तो दोहरी परेशानी होने लगती है।

भारत सरकार सहित आम आदमी भी जानता है कि शराब लॉबी , सरकार की लॉबी ही होती है और सरकारी राजस्व सहित निजी राजस्व का सबसे बड़ा साधन होती है। एक नंबर के साथ साथ दो नंबर की नगद धनराशि के लिए दो तरीके का अवैध होलो ग्राम बनाकर शराब और ब्रांड के नाम पर सौदेबाज़ी सबको पता है।

छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने से पहले खुली नीलामी प्रक्रिया को हटा कर ठेकेदारों से शराब को सरकार ने अपने हाथों में ले लिया था। तब भी एक “अमर” थे। सरकार और शराब के बीच से ठेकेदार हटे औऱ राशि सीधे सरकार के नुमाइंदों तक पहुँचने लगी। आउट सोर्सिंग का रास्ता खोजा गया। जाहिर है शराब बनाने से लेकर, ब्रांडिंग, ट्रांसपोर्टेशन, कलेक्शन सभी काम मे हिस्सेदारी होती है।
इस काम के लिए नई सरकार ने भी अमर को ही खोजा । अमर बेल की तरह ये व्यक्तित्व पसरने लगा। एक राज्य से जी नही भरा तो पड़ोसी राज्य झारखंड भी पहुँच गया। दोनो हाथ मे लड्डू थे, पांचों उंगलियां घी में और सर कड़ाही में।राज्य सरकार की उपसचिव ने अपना हाथ भी रखा हुआ था। रोज नगद में करोड़ो बरसने लगे।
यहां तो ईमानदारी मजबूरी थी लेकिन झारखंड के सोरेन को अंडर एस्टीमेट कर लिया गया। 400 करोड़ रुपए का गोलमाल की जानकारी सोरेन को मिली । सूत्र बताते है कि इस बात की शिकायत छत्तीसगढ़ की सरकार तक पहुँची।

इसके पहले ही ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब के व्यापारियों के साथ साथ अमरपति त्रिपाठी को भी धर लिया। जांच इतनी ताबड़तोड़ हुई कि क्या घर क्या आफिस सब जगह छापे पड़ गए। ईडी को शराब के पैसे जानकारी दो वर्ष पूर्व पड़े सौम्या चौरसिया औऱ अनिल टुटेजा के यहां से मिला था। आयकर विभाग के छापे के बावजूद छत्तीसगढ़ के धन जुटाने वाले सरगना को कोई फर्क नही पड़ा। अमरपति त्रिपाठी डिस्लरी, शराब माफिया के जरिये करोड़ो वसूलते रहे और अनवर ढेबर के जरिये ऊपर पहुँचाने में लगें रहे। अपने वसूली के लिए आबकारी अधिकारियों को कठपुतली बनाया गया। आज 30 आबकारी अधिकारी ईडी की जद में है।
दो राज्यो के शराब लॉबी को फंसता देख झारखंड की सरकार ने भले ही किनारा कर लिया है लेकिन वहां के आबकारी कमिश्नर औऱ सचिव की पेशी छत्तीसगढ़ में ईडी के सामने लग गयी है।
शराब के मामले में सबसे बड़ी परेशानी

अमरपतित्रिपाठी औऱ अनवर ढेबर को होने वाली है क्योंकि यही दोनो ऊपर से नीचे के बीच के पैसे देने के मामले में बड़े हाथ थे। एक शराब कारोबारी ने विस्तार से बयान लिखवा क्या दिया, उसके खिलाफ एफआईआर का सिलसिला चल पड़ा है।इस कारोबारी के सूचना के बाद ही आबकारी भवन के तिजोरी से विवादास्पद दस्तावेज थोक में मिलने के बाद अनेक लोग उच्च न्यायालय की शरण मे गए है। उनकी शिकायत जो भी हो लेकिन ईडी एक ऐसे राज्य जहां की सरकार आरोप दर आरोप लगा रही है वहां फूंक फूंक कर ही कदम रखेगी।
ईडी के जद में जो लोग आये है वे किसी विद्वान के सलाह पर चल रहे है। उनको इस बात के लिए सतर्क होना चाहिए कि अगर उच्च न्यायालय ने संवैधानिक संस्था के पक्ष में निर्णय दिया तो सख्ती कई गुना बढ़ेगी और लाभान्वित लोगो को भी परेशानी ज्यादा होगी।
साभार इंडियन राइटर्स