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तमिलनाडु में सियासी भूचाल: ईडी का 1,020 करोड़ भ्रष्टाचार डोज़ियर, मंत्री केएन नेहरू पर बड़े आरोप
नई दिल्ली। तमिलनाडु की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नगर प्रशासन और जल आपूर्ति मंत्री केएन नेहरू के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों वाला नया और बेहद विस्तृत दस्तावेज राज्य सरकार को सौंपा है। ईडी सूत्रों का दावा है कि मंत्री पर 1,020 करोड़ रुपये के कथित टेंडर घोटाले में संलिप्त होने के संकेत मिले हैं। एजेंसी ने सरकार से मामले में नई FIR दर्ज करने की मांग भी की है।
ईडी के अनुसार, मंत्री के विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हुईं, टेंडर खुलने से पहले ही कॉन्ट्रैक्ट्स “तय” कर दिए गए और कंस्ट्रक्शन व आउटसोर्सिंग प्रोजेक्ट्स के ठेके 7.5% से 10% कमीशन लेकर चयनित कॉन्ट्रैक्टर्स को सौंपे गए। आरोप है कि भुगतान कैश या हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया।
258 पेज का 'एविडेंस पैक': 300 तस्वीरें, चैट्स, कैलकुलेशन शीट्स
ईडी ने जो 258 पेज का दस्तावेज भेजा है, उसमें कथित डील्स के स्क्रीनशॉट्स, तस्वीरें, कॉन्ट्रैक्ट डीटेल्स, भुगतानकर्ताओं के नाम, पंचायतों की सूची, रिश्वत की रकम और बकाया का पूरा रिकॉर्ड शामिल है। एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि हमने कैलकुलेशन शीट और उससे जुड़े मैसेज रिकवर कर लिए हैं।
ये डेटा मंत्री के भाइयों की संपत्तियों की तलाशी के दौरान जब्त मोबाइल और डिजिटल डिवाइसेज़ से मिला। यह परिवार ‘ट्रू वैल्यू होम्स’ नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाता है। दिलचस्प बात यह है कि यह जांच मूल रूप से 30 करोड़ के बैंक फ्रॉड से शुरू हुई थी, जिसे बाद में बंद कर दिया गया था, लेकिन डिवाइसेज़ की जांच में ईडी को नई सामग्री हाथ लग गई।
पहले भी आया था घोटाले का डोज़ियर
यह कोई पहला मामला नहीं। इससे पहले भी ईडी ने राज्य सरकार को एक डोज़ियर भेजकर ‘कैश-फॉर-जॉब्स’ घोटाले का दावा किया था। आरोप था कि सहायक इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर और टाउन प्लानिंग अधिकारी जैसे पदों पर भर्तियों के लिए 25–35 लाख रुपये तक वसूले गए और कुल 2,400 नियुक्तियाँ इसी सिस्टम के तहत हुईं।
मंत्री और डीएमके का रिएक्शन
मंत्री केएन नेहरू ने इन आरोपों को पहले ही “राजनीतिक साजिश” बताया था। उनकी दलील है कि सभी भर्ती अन्ना यूनिवर्सिटी की परीक्षा के आधार पर हुईं और किसी भी उम्मीदवार ने शिकायत नहीं की। उन्होंने ईडी पर हमला बोलते हुए कहा था कि बैंक फ्रॉड में कुछ नहीं मिला, इसलिए अब एजेंसी नए आरोप गढ़ रही है। सत्तारूढ़ डीएमके ने भी इस दस्तावेज को चुनाव के समय ईडी का ‘पॉलिटीकल स्टंट’ करार दिया है और इसे केंद्र सरकार द्वारा एजेंसी के दुरुपयोग का उदाहरण बताया है। नए दस्तावेज़ पर मंत्री की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
