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कर्तव्य पथ से सेवा तीर्थ तक: मोदी सरकार ने बदले सरकारी भवनों के नाम, 8 राज्यों ने किया अमल
नई दिल्ली: देश के प्रशासनिक ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नाम में परिवर्तन कर दिया है। अब पीएमओ को ‘सेवा तीर्थ’ नाम से जाना जाएगा। यही नहीं, केंद्रीय सचिवालय का नाम भी बदला गया है, यह अब ‘कर्तव्य भवन’ कहलाएगा। नाम बदलने की यह कवायद केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रही। केंद्र ने देशभर के राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ करने का भी ऐलान किया है। इससे पहले ही दिल्ली में राजपथ को कर्तव्य पथ और प्रधानमंत्री आवास को लोक कल्याण मार्ग किया जा चुका है।
8 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने लागू किया बदलाव
गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद देश के कई राज्यों ने अपने राजभवनों से ‘राज’ शब्द हटाना शुरू कर दिया है। अब तक उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा अपने राजभवनों का नाम लोकभवन कर चुके हैं। लद्दाख ने भी ‘राज निवास’ का नाम बदलकर ‘लोक निवास’ कर दिया है। सूची में अब राजस्थान भी जुड़ गया है, जिसने आधिकारिक रूप से बदलाव का एलान कर दिया है।
गृह मंत्रालय ने कहा—राजभवन नाम औपनिवेशिक सोच का प्रतीक
राज्यों के राज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों को भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि ‘राजभवन’ शब्द औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। पिछले साल हुई राज्यपालों की कॉन्फ्रेंस में यह सुझाव आया था कि इन भवनों को लोक-उन्मुख नाम दिए जाएं, जो लोकतंत्र और जनता की भावना को दर्शाएं। इसी क्रम में मंत्रालय ने सुझाव दिया कि आधिकारिक उपयोग में राज्यपाल और उपराज्यपाल के कार्यालयों को ‘लोकभवन’ और ‘लोक निवास’ नाम से संबोधित किया जाए।
औपनिवेशिक मानसिकता के प्रतीकों को मिटाने की दिशा में मोदी सरकार लगातार कदम बढ़ा रही है। इसी अभियान के तहत पहले राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया, फिर सरकारी वेबसाइटों पर हिंदी को प्राथमिक भाषा के रूप में प्रमुख स्थान दिया गया। इसके अलावा बीटिंग द रिट्रीट समारोह से 'Abide With Me' जैसी इंग्लिश धुनों को हटाकर भारतीयता पर आधारित संगीत को शामिल किया गया। अब प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय सचिवालय और देशभर के राजभवनों के नामों में किए गए बदलाव इस डिकॉलोनाइजेशन प्रक्रिया को और आगे बढ़ाते हुए प्रशासनिक पहचान को अधिक भारतीय स्वरूप देने की दिशा में सरकार की निरंतर कोशिश को दर्शाते हैं।
