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कोरबा की शराब दुकानों में 'शॉर्टेज' का खेल, अवैध अहातों का 'खुल्ला राज'! प्लेसमेंट कर्मी घेरे में

कोरबा। कोरबा जिले की सरकारी शराब दुकानों में इन दिनों अजीब खेल चल रहा है। कहीं शराब की 'शॉर्टेज' है, तो कहीं दुकानों के आसपास अवैध अहातों का 'खुल्ला राज' चल रहा है। इस पूरे मामले में प्लेसमेंट कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिससे आबकारी विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज आशा सिंह ने इस गड़बड़ी की पुष्टि करते हुए बताया कि जिले की कई सरकारी शराब दुकानों से शराब की कमी (शॉर्टेज) की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इस 'शॉर्टेज' के चलते आबकारी विभाग को लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि कुछ दोषी कर्मचारियों को तो तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाल दिया गया है, लेकिन प्लेसमेंट कर्मियों के मामले में आबकारी विभाग सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी नियुक्ति प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से हुई है। सुश्री सिंह ने साफ कहा कि इन कर्मियों की जिम्मेदारी सीधे तौर पर प्लेसमेंट एजेंसी की है।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब प्लेसमेंट कर्मियों ने चौंकाने वाला आरोप लगाया। उनका कहना है कि उन्हें धमकाकर जबरन पैसे जमा करने के लिए मजबूर किया जाता था। अब यह जांच का विषय है कि यह 'धमकी' कौन दे रहा था और इस जबरन वसूली का 'शॉर्टेज' से क्या कनेक्शन है।
उधर, कटघोरा में अंग्रेजी और देसी शराब दुकानों के आसपास अवैध अहातों और चखना सेंटरों का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। आबकारी विभाग ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। जबकि जिले में शराब दुकान अहातों का ठेका करोड़ों रुपए में दिया गया है, जिससे सरकार को अच्छा खासा राजस्व मिलता है। सवाल यह है कि जब वैध ठेके मौजूद हैं, तो इन अवैध अहातों का कारोबार कैसे फल-फूल रहा है? क्या आबकारी विभाग के कुछ अधिकारी इनकी अनदेखी कर रहे हैं?
असिस्टेंट कमिश्नर आशा सिंह ने जरूर अवैध अहातों पर कार्रवाई के लिए अपने अधीनस्थों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नए अहातों के संचालन के लिए प्रक्रिया जारी है और कई समूहों ने इसके लिए आवेदन भी किए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब तक पुराने अवैध अहातों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा, नए नियम कितने प्रभावी होंगे?
कोरबा की शराब दुकानों में 'शॉर्टेज' और अवैध अहातों का यह घालमेल कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।