राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : रायपुर में पुलिस और प्रशासन के लिए आया राजनैतिक चश्मा, ED दफ्तर के सामने लगी दुकान में भारी भीड़, सोमवार को बम्पर सेल

राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : रायपुर में पुलिस और प्रशासन के लिए आया राजनैतिक चश्मा, ED दफ्तर के सामने लगी दुकान में भारी भीड़, सोमवार को बम्पर सेल रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकार के कामकाज और योजनाए भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए है। विधान सभा से लेकर सड़को तक सरकार पर यही आरोप लग रहे […]


राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : रायपुर में पुलिस और प्रशासन के लिए आया राजनैतिक चश्मा, ED दफ्तर के सामने लगी दुकान में भारी भीड़, सोमवार को बम्पर सेल


रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकार के कामकाज और योजनाए भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए है। विधान सभा से लेकर सड़को तक सरकार पर यही आरोप लग रहे है। धरना स्थल बूढ़ा तालाब हो या फिर नवा रायपुर स्थित पीड़ितों के ठिकाने, हर जगह मुख्यमंत्री बघेल की वादा खिलाफी और भ्रष्टाचार की चर्चाएं आम है। बताते है कि सरकार के किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार की दास्तान की शुरुआत और अंत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टोली का ही नाम सामने आ रहा है।

बताते है कि इसकी बानगी भी ED दफ्तर में देखने मिल रही है। लोगो के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले 4 सालो में तमाम घोटालो की फेहरिस्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खास समर्थक नेताओ से शुरू होती है, इसका अंत भी बघेल के विश्वासपात्र नेताओ और अफसरों से होता है। छत्तीसगढ़ में कोल खनन परिवहन घोटाले की जाँच जारी है। होली से पहले रायपुर में ED दफ्तर में आये दिन कांग्रेसियो का हुजूम लग रहा है। कोई नारे बाजी कर रहा है, तो कोई धरना-प्रदर्शन में व्यस्त है।

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रायपुर में मुख्य मार्ग में स्थित ED दफ्तर के सामने कई दिनों से मेला लगा हुआ है। इस मेले में सिर्फ कांग्रेसी कार्यकर्ताओ और उनके नेताओ के अलावा कोई और नजर नहीं आता। यदि आपको यकीन नहीं होता तो इलाके का जायजा ले सकते है। यही नहीं यदि सोमवार को इस मार्ग से आप आवाजाही करने वाले है तो सतर्क रहिये।

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ED दफ्तर के सामने कांग्रेस के नेताओ का बड़ा जलसा होने वाला है। इसके जरिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथियो ने आखिर क्या संदेशा देने का फैसला किया है, यह तो वक्त ही बतायेगा। लेकिन धरना प्रदर्शनों के लिए पीड़ितों को बूढ़ा तालाब भेजना और जनता पर जुल्म करने वालो को बचाने के लिए ED दफ्तर के सामने धरना प्रदर्शन के लिए मौका देने का मामला चर्चा में है।

बताते है कि राजनैतिक चश्मे की दुकान यही सजी है, जो रिंग रोड तक में बवाल खड़ा कर रही है। जबकि सरकार से वादा निभाने की गुहार लगाने वालो को शहर से 15 किलोमीटर दूर नवा रायपुर की वीरानी में खदेड़ दिया गया है। जनता की तिजोरी पर हाथ साफ करने वालो को बचाने के लिए ED दफ्तर और अन्य मुख्य मार्गो पर कांग्रेसियो का प्रदर्शन प्रशासन के दोहरे रवैये की पहचान बनते जा रहा है। इसके लिए जुटाए जा रहे सरकारी संसाधन चर्चा का विषय बने हुए है। रायपुर में ED के खिलाफ कई प्रतिबंधित इलाको तक में रैलियां और प्रदर्शन बे रोक टोक जारी है।

बताते है कि कांग्रेस सरकार के 4 साल बीत जाने के बावजूद भी प्रशासन जिम्मेदार के अफसरों ने राजनैतिक चश्मों को अभी तक नहीं उतारा है। नतीजतन प्रदेश में जहां टैक्स पेयर नागरिको को प्रशासनिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है, वही बे लगाम राजनैतिक प्रदर्शनों से बड़ी आबादी दो-चार हो रही है।

गौरतलब है कि राजधानी रायपुर में पुलिस और प्रशासन के गैर जिम्मेदार रवैये से कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ना आम नजारा है। कांग्रेस के नेता रहवासी इलाके हो या फिर केंद्र सरकार के कार्यालय, इनके इर्द-गिर्द धरना प्रदर्शनों से जनता के लिए सिर दर्द पैदा कर रहे है। बताते है कि इस इलाके में कई दिनों से धरना प्रदर्शन का दौर जारी है।

प्रशासन ने बूढ़ा तालाब और उसके आस पास के इलाको में धरना प्रदर्शनों के लिए स्थान तय किया है। इसके अलावा नई राजधानी में तैयार धरना स्थल में पीड़ितों का दम निकल रहा है। दरअसल यहां धरना प्रदर्शन स्थल बना तो दिया गया लेकिन मूलभुत सुविधाएं नहीं जुटाई गई है। बावजूद इसके तमाम संगठनों को नवा रायपुर भेजा जा रहा है जबकि कुख्यात आरोपियों के लिए बनाये जा रहे दबाव के मामले में प्रशासन की नरमी हैरान करने वाली है।

बताते है कि प्रदेश में राजनैतिक दल विशेष के लिए प्रशासन ने कायदे कानून शिथिल कर दिए है, इसके चलते केंद्रीय एजेंसियों के कई दफ्तरों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। उधर कांग्रेसियो की माने तो सरकार उनकी है, प्रशासन हमारे नेताओ की नहीं सुनेगा तो क्या बीजेपी के ? कांग्रेसियो के ऐसे बोल भी दम दे रहे है कि अफसरशाही अभी भी राजनीति से बाहर नहीं आई है। ED कार्यालय के मार्ग पर कांग्रेस के लगातार प्रदर्शनों से जनजीवन अस्त व्यस्त है। प्रशासन ना तो प्रदर्शनकारियों पर लगाम लगा पा रहा है, और ना ही उन्हें शक्ति परिक्षण के लिए नवा रायपुर का रुख करने की राह दिखा रहा है।

रायपुर में ED दफ्तर के सामने का नजारा कांग्रेस मुख्यालय की तर्ज पर नजर आने लगा है। यहां दिन रात कांग्रेसियो का जमावड़ा लग रहा है। जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खासम ख़ास नेता पूछताछ के दौरान ED के दफ्तर से अंदर बाहर होते नजर आ रहे है। इस इलाके में चारो ओर रोजाना जाम की स्थिती निर्मित हो रही है। यातायात बाधित होने का सीधा असर जनजीवन भी पड़ रहा है।

बताते है कि इलाके में कई भारी और हल्के वाहनों की वजह से हादसे भी हो रहे है, इस मार्ग में होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से नाकाम हो रही है। इसका मुख्य कारण धरना प्रदर्शन को बताया जा रहा है। बताते है कि कांग्रेसियो की मनमर्जी से यातायात का प्रबंध किये बगैर, शहर के भीतरी इलाको में हो रहे कांग्रेस के धरना प्रदर्शन भी मुश्किलों का सबब बनते जा रहे है।

जनता को समझ में नहीं आ रहा है कि बूढ़ा तालाब से लेकर नई राजधानी तक धरना प्रदर्शन हो रहे है, तो आखिर आम नागरिको के लिए विशेष नियम क्यों लागू किये जा रहे है, जबकि वे समय पर अपने समस्त करो का भुगतान करते है। एक संविधान और दो विधान की थ्योरी लोगो को समझ में नहीं आ रही है।

बताते है कि होली पर कांग्रेसियो ने ED दफ्तर में ढोल-नगाड़ा बजा धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस इलाके में पहले से ही चल रहे कांग्रेसियो के प्रदर्शनों से जनता का हाल बेहाल बताया जाता है। शोर गुल और धूल के गुब्बारों से प्रदुषण जोरो पर है। रायपुर शहर में इंडस्ट्री का धुँआ घरो में कई परते बना रहा है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह अपने घरो में हाथ पर हाथ धरे बैठे है। जबकि उन नौकरशाहों और नेताओ से उनके क्रियाकलापों का हिसाब-किताब ED देख रही है।

बताया जाता है कि मामला प्रदुषण का हो या फिर सरकारी योजनाओ के लाभ का,इसका सीधा फायदा सिर्फ मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टोली को हुआ है। इन तस्वीरो में आप देख सकते है कि ED जिन लोगो से पूछताछ कर रही है,उनका सीधा नाता किनसे है। आखिर भ्रस्टाचार के मामलों की जाँच को राजनीति के तकाजे में क्योँ तौला जा रहा है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ शासन भी मौन साधे हुए है। शहर में कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है।लेकिन उन विभागों से जुड़े कई बड़े अधिकारी ED समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों की राडार में बताये जाते है।

सूत्र बताते है कि केंद्रीय एजेंसियों की जाँच से बचने के लिए कई अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से भी पीछे भाग रहे है। वही,ED दफ्तर में होने वाले प्रदर्शनों को लेकर पुलिस और प्रशासन की भूमिका भी सामने आ रही है। बताया जाता है कि प्रशासन के रुख से ED समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों के दफ्तरों और अधिकारियो की सुरक्षा भी दांव पर है।

जानकारी के मुताबिक पूर्व में ED परिसर में दाखिल हो कर कांग्रेसी कार्यकर्ताओ का हंगामा चर्चा में है। इसके बाद मंत्रालय में हुई ED की रेड हुई थी। प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारे में अभी भी ED की रेड की सनसनी बरकरार है। जनता राह तक रही है कि सोमवार को कांग्रेस के ढोल नंगाड़ों की गूंज सीएम बघेल से जुड़े आखिर किस नेता और अधिकारी के आँगन तक भी सुनाई देगी। बताते है कि दरअसल,सीएम बघेल और ED पर उनके हमले का सीधा मतलब अब निकाले जाने लगा है। कई लोगो का मानना है कि बघेल के ट्वीट और कांग्रेस का प्रदर्शन आमतौर पर उस वक्त ही सामने आता है,जब ED के हाथ किसी भ्रष्ट अफसर या करीबी नेता के गिरेबान तक पहुँचते है। धरना प्रदर्शनों की इजाजत देने के मामलो में रायपुर जिला प्रशासन का नजरिया जनता की आँखों में नजर आने लगा है।

होली के त्यौहार पर ED दफ्तर में कांग्रेस का प्रदर्शन गौरतलब बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस दिन पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल समेत कई नेताओ से पूछताछ होनी है। लिहाजा इस इलाके में कांग्रेस के धरना प्रदर्शनों से जनता के माथे पर बल पड़ गया है। एक ओर जहाँ राज्य के कोल खनन परिवहन घोटाले में लिप्त ऐसे लोगो से ED पूछताछ कर रही है,जिनके भ्रष्टाचार के काले कारनामो के दस्तावेजी प्रमाण जनता के सामने आ रहे है। फ़िलहाल सरकारी तिजोरी में हाथ साफ़ करने वालो के समर्थन में धरना प्रदर्शनों ने जनता को सकते में डाल दिया है। लोगो को लगने लगा है कि चुनाव सिर पर है लेकिन पुलिस और प्रशासन का राजनैतिक चश्मा अब तक नहीं उतरा है।

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