राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के आंतरिक सर्वे चर्चा में,दिनों दिन ख़त्म हो रही जीत की संभावनाओं से मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर उठने लगी ऊँगली,सर्वे सूची वायरल….

राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के आंतरिक सर्वे चर्चा में,दिनों दिन ख़त्म हो रही जीत की संभावनाओं से मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर उठने लगी ऊँगली,सर्वे सूची वायरल…. दिल्ली/रायपुर: दिल्ली के राजनैतिक गलियारे में छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश और राजस्थान में इसी साल होने वाले विधान सभा चुनाव की उठा-पटक शुरू हो गई है। पार्टी अध्यक्ष […]

राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के आंतरिक सर्वे चर्चा में,दिनों दिन ख़त्म हो रही जीत की संभावनाओं से मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर उठने लगी ऊँगली,सर्वे सूची वायरल….

दिल्ली/रायपुर: दिल्ली के राजनैतिक गलियारे में छत्तीसगढ़,मध्यप्रदेश और राजस्थान में इसी साल होने वाले विधान सभा चुनाव की उठा-पटक शुरू हो गई है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में कांग्रेस ने कर्नाटक में धमाकेदार जीत दर्ज की है। इसके साथ ही विपक्षियों को एकजुट करने की कांग्रेस की पहल शुरू हो गई है।

एक ताजा घटनाक्रम में सैर-सपाटे के लिए विदेश गए,छत्तीसगढ़ के स्वास्थय मंत्री टीएस सिंहदेव को अचानक दिल्ली बुला लिया गया है। सूत्र दावा कर रहे है कि सिंहदेव की जल्द दिल्ली वापसी हो सकती है।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नेतृत्व की समीक्षा को लेकर हुई एक बैठक की चर्चा राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। खबरों के मुताबिक दोनों ही राज्यों में मौजूदा नेतृत्व की अगुवाई में ही कांग्रेस विधान सभा चुनाव 2023 में जनता के बीच जाएगी,या फिर सीएम की दावेदारी कर रहे अन्य चर्चित चेहरों पर दांव आजमाएगी। इस पर आलाकमान की अंतिम मुहर लग गई है।

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सूत्र दावा कर रहे है कि पहले छत्तीसगढ़ और फिर राजस्थान और मध्यप्रदेश में सर्वमान्य चेहरे को सामने रखकर कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरेगी।

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कांग्रेस मुख्यालय में खड़गे को बधाई देने वाले नेताओ का तांता लगा हुआ है। उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालो में पार्टी की वरिष्ठ लीडर सोनिया गाँधी का नाम सामने आया है। बताते है कि कर्नाटक में सरकार गठन का सर्वमान्य हल खड़गे ने ही निकाला था,उनकी पहल पर ही सोनिया गाँधी ने डीके शिवकुमार विवाद का समय रहते निपटारा कर बीजेपी को अपना कार्ड खेलने का मौका ही नहीं दिया था। इसी कड़ी में खड़गे सुर्खियों में है।

कांग्रेस के गलियारे में चुनावी राज्यों में पार्टी के आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट भी खूब सुर्खियां बटोर रही है। हालांकि आधिकारिक रूप से संगठन का कोई भी नेता इन सर्वे रिपोर्ट्स के बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर रहा है। ऐसी ही एक रिपोर्ट को लेकर माथापच्ची का दौर जारी है।

सूत्र दावा कर रहे है कि छत्तीसगढ़,राजस्थान और मध्यप्रदेश की प्रदेश इकाइयों ने अपने मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन और जीत-हार के कारको से खड़गे के कार्यालय को अवगत कराया है। कर्नाटक के मामलों से मुक्त होते ही खड़गे,तमाम राज्यों की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट से रूबरू हो रहे है।

बताते है कि छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा से मेल-मुलाकात के बाद खड़गे उस रिपोर्ट से भी वाकिफ हुए है,जो आलाकमान और मुखयमंत्री भूपेश बघेल के बीच हालिया संपन्न हुई थी।

सूत्रों पर यकीन करें तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े हो रहे है। मध्यप्रदेश में वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नेतृत्व में ही चुनाव होगा,जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति कमलनाथ की सहमति के बाद होने जा रही है। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी रस्साकसी भी खड़गे के लिए नई चुनौती बनकर उभरी है।

कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि राजस्थान के रण से पूर्व छत्तीसगढ़ विवाद सुलझा लिया गया है। इसी कड़ी में आलाकमान की अनुमति से विदेश भेजे गए टीएस सिंहदेव को अचानक स्वदेश बुला लिया गया है,जल्द ही उनकी पुनर्वापसी की खबर आ रही है।

सूत्र बताते है कि मध्यप्रदेश को छोड़ छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हालत पतली है,दोनों ही राज्यों में नेतृत्व विवाद कई विधायकों की हालत ख़राब कर चुका है। प्रदेश प्रभारियों के आगे पीड़ित विधायक अपना रोना रो रहे है,मौजूदा नेतृत्व पर उनके गंभीर आरोपों से कांग्रेस की नैया डूबती नजर आ रही है।

बताते है कि राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ पार्टी प्रभारी कुमारी शैलजा ने भी मुख्यमंत्री विवाद का खामियाजा भोग रहे विधायकों की शिकायतों से मल्लिकार्जुन खड़गे को अवगत कराया है। छत्तीसगढ़ में पार्टी के अंदुरुनी हालात राजस्थान से बदतर बताए जाते है। मौजूदा परिस्थितयो का जायजा लेने के बाद कुमारी शैलजा ने जो रिपोर्ट आलाकमान को सौंपी है,वह हकीकत और जमीनी हालात से काफी मेल खाती बताई जा रही है।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली से कई विधायकों को उनका अबकी बार चुन कर आना खटाई में पड़ता दिख रहा है। कई पीड़ित विधायकों का मानना है कि मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार उनकी राजनैतिक राह मुश्किल कर रहा है। भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार की फजीहत उन पर भारी पड़ रही है। कई स्थानीय मुद्दों का निराकरण पौने पांच साल बाद भी नहीं हो पाया है।

सूत्र दावा कर रहे है कि सर्वे सूची में कई समीकरणों और कामकाज के आंकलन के उपरांत जो टीप दर्ज की गई है,वो पारदर्शिता पूर्ण तरीके से सामने आई है,इससे प्रभावित होने वाले विधायकों को आगाह भी किया जा रहा है।

बताते है कि आलाकमान की आंख खोलने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी सरकार और संगठन के बीच सामंजस्य और तालमेल स्थापित करने के लिए जरुरी कदम उठाए जाने की गुहार लगाई है।

राज्य के आदिवासी नेता मोहन मरकाम से इस सर्वे सूची की हकीकत को लेकर संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनसे संवाद नहीं हो पाया। अलबत्ता यह जानकारी सामने आई कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय,राजीव भवन से कई प्रवक्ताओं ने किनारा कर लिया है।

बताते है कि कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी के जरिए उपकृत होने वालो की सूची में प्रमुख प्रवक्ता आरपी सिंह समेत अन्य नेताओं का नाम सामने आने के बाद खलबली है।

कांग्रेस मुख्यालय में सुशील आनंद शुक्ला और धनंजय ठाकुर के अलावा अन्य कोई प्रवक्ता ढूंढे नजर नहीं आ रहा है। बताते है कि पहले कोल खनन परिवहन घोटाला,आबकारी घोटाला और अब PSC घोटाला सामने आने के बाद प्रवक्ताओं की भी हालत ख़राब है।

सूत्र बताते है कि नौकरशाही और सरकार के कामकाज से जुड़े मुद्दों,भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्यमंत्री के कुनबे से चल रही पूछताछ,खजांची रामगोपाल अग्रवाल और उसके खानदान को आवंटित बेशकीमती जमीने,खदाने और ठेके एकतरफा सौंप दिए जाने से मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को कांग्रेस ने बैठे-बिठाए,बड़ा मुद्दा सौंप दिया है।

बताया जा रहा है कि प्रेस-मीडिया में उछल रहे भ्रष्टाचार,मनी लॉन्ड्रिंग और पदों के दुरुपयोग जैसे मामलों से कांग्रेस की छवि चमकने के बजाए धूमिल हो रही है।

इसका खामियाजा कई विधायकों के अलावा पार्टी प्रवक्ताओं को भी मुश्किल में डाल रहा है। पब्लिक डिबेट और प्रतिक्रियाओं को जाहिर करने में कांग्रेस का पक्ष कमजोर और बीजेपी का पलटवार काफी मजबूत दिखाई देता है।

बताते है कि कई मौको पर प्रवक्ताओं को सार्वजनिक रूप से बगले झांकना पड़ रहा है,लिहाजा कई प्रवक्ताओ ने अप्रिय परिस्थितयो से बचने के लिए राजीव भवन के भीतर स्थित अपने चैम्बर को भी टाटा बाय-बाय कह दिया है। राज्य में आदर्श अचार संहिता प्रभावशील होने में अब चंद महीनो का समय ही शेष बचा है,ऐसे में पार्टी का यह सर्वे सत्ता और संगठन दोनों के लिए सोचनीय है।

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